एक शब्द में संसार समाहित,
जग जननी है माँ।
कितनी भोली, कितनी प्यारी,
मुझे प्यारी है माँ ।
सबकी बातें सुनती है पर…
कभी न बदले माँ।
त्याग-तपस्या की साक्षात मूरत,
धैर्यवान है माँ।
सबका ध्यान बराबर रखती ,
अन्नपूर्णा है माँ।
घर को सुव्यवस्थित रखती ,
श्री महालक्ष्मी है माँ।
हम बच्चों को डांट डपट कर,
संस्कारित करती है माँ।
हम बच्चों की प्रगति देख कर,
खुश होती है माँ।
थोड़ा सा बस ध्यान धरो तो…
दुआ देती है माँ।
कितना प्यार,कितनी दुआएं,
हमको देती है माँ।
पापा का भी ध्यान रखे ,
ऐसी होती है माँ।
प्रथम शिक्षिका हर बच्चे की
होती है प्यारी माँ।
—–अनिता शर्मा झाँसी
——मौलिक रचना