” मातृ ब्रह्मा मातृ विष्णु मातृ देवों महेश्वर: ।
” मातृ साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री मातुवे नमः ।।
यानि ब्रह्मा …..
जिसने सम्पूर्ण सृष्टि की रचना की है ।
माँ …..
यानि विष्णु ……
जो सम्पूर्ण चराचर जगत के पालन करने वाले हैं।
माँ ……
यानि भोलेनाथ ……
जो अपने भक्तों के कष्ट पल में हर लेते है ।उसी तरह माँ अपने बच्चो की परेशानी पल में समझ भी जाती है और निपटा भी देती है। माँ से मीठी- मीठी बात करो । अपनी कोई भी बात मनवायो ।
माँ….
जो जन्म देने वाली हैं। जो लालन- पालन करने वाली है ।
सुख -दुःख में साथ निभाने वाली हैं । ममता की मूरत है ।
क्या देवी क्या देवता ।माँ से बढ़कर कोई नहीं है ।
माँ……
अपने आप में सम्पूर्ण ब्रमांड को समेटे हुए हैं ।
समस्त सृष्टि का संचालन माँ ही करती है ।
माँ ….शब्द बोलने मात्र से ही मनुष्य अपने दुःख दर्द भूल जाता हैं
माँ के अनेकों रूप है ।वो चाहे अपनी माँ हो ।अपने पिता की माँ हो ।या अपने पति की माँ हो । धरती माँ हो या भारत माँ ।गौमाता हो या दुर्गा माँ । वो अपने हर रूप में पूजनीय है।
माँ का विशाल हर्दय होता हैं ।अतुलनीय सहनसक्ति होती है। करोडों कष्टों को झेलकर भी उसकी मुस्कराहट कम नही होती । मुखड़े पर सूर्य सा तेज और चन्द्रमा सी सीतलता बनी रहती हैं । सादा सरल व्यवहार उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देता हैं । थकान महसूस होते हुए भी जाहिर नही होने देती ।अपने बच्चों के लिए सब कुछ सहने को तैयार रहती हैं। माँ में ही वो हिम्मत है ।जो इतनी मुस्किलो में भी अपने बच्चे का हँसता हुआ मुख देखकर फूलों की भांति खिल उठती हैं ।अपनी भूख -प्यास सब भूल जाती है अपने बच्चों के लिए ।बस बच्चों का पेट भरना चाहिये।
धन्य है । वो अदृश्य शक्ति जिसने इस संसार को बनाया ।
धन्य है । वो माँ जिसकी कोख़ से उस परमेश्वर ने जन्म लिया ।
नमन करती हूँ उस माँ को जिसने मुझे जन्म दिया ।
जिसके कारण मैने इस संसार को देखा ।
नमन….
उस धरती माँ को जिसने अपनी छाती पर हल चलवाया ।फसलों को उगाया ।अपने गर्भ से भाँति -भाँति की वनस्पति और पेड़ -पौधों को जन्म दिया । लाखों – करोडों जीवं जन्तुओं ,पशु -पक्षियों का पालन – पोषण किया ।
नमन…
उस माँ को जिसने अपने आँचल में सबकों समभाव से पनाह दी ।सबको एक समान रूप से प्रेम किया ।सबको सम्भाला ।
नमन…
करूँ उस धरती माँ जिसमें इतना साहस है । कि वो हर मुसीबत का सामना करने के लिए हरदम तैयार है। चाहे सूखा हो बाढ़ हो ।चाहे हरियाली और खुशहाली हो ।सबमें एक समान व्यवहार रहता हैं। बस अपने बच्चों पर प्रेम की वर्षा करती रहती हैं माँ के लिए सब बच्चे बराबर प्यारे होते है वो किसी से भेदभाव नहीं करती । अपना सब कुछ उन्हीं पर कुर्बान कर देती है।
नमन ..
उस भारत माँ को जिसकी गोदी में इतने शूरवीर पैदा हुए जिन्होंने अपने वतन के लिए अपने प्राणों की हँसते -हँसते कुर्बानी दे दी। जो भारत माँ की आजादी के लिए फाँसी पर झूल गये ।
नमन …..
उन शहीदो की माताओं को जिसने अपनी कोख से ऐसे सपूतों को जन्मा । जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बगैर अपने देश के लिये अपना घर -परिवार ,अपनी खुशियाँ ,अपने प्राणों का बिना सोचें -समझें बलिदान कर दिया ।
नमन …..
उस माँ को जिसने अपने गर्भ से अनेकों माटी के लाल जन्मे ।जो दिन रात मेहनत करके अपने परिवार के साथ -साथ पूरे देश का पेट भरते है ।जो धरती माँ का सीना चीरकर फसलें उगाते है ।तरह -तरह के अनाज पैदा करते है ।
नमन ….
उस फौजी की माँ को जो हँसते -हँसते अपने इकलौते बेटे को भारत माँ के स्वाभिमान की रक्षा के लिए दुश्मनों से लड़ने के लिए सरहद पर भेज देती है ।
नमन…
उस नवविवाहित फौजी की दुल्हन की माँ को जिसने इतनी बहादुर बेटी को जन्म दिया । जो अपने पति को सीमा पर आंतकियों से युद्ध के लिए हँसते हुए विदा करें। महीनों उसके इंतजार में दिन गिन -गिन कर बिताये ।
कोटि- कोटि नमन….
माँ के हर उस स्वरूप को जो इस सकल संसार में कही पर भी निराकार या साकार रूप में उपस्थित है ।
माँ के बिना इस सृष्टि में सृजन कार्य संभव नही हो सकता है।इसलिए हमें अपनी माँ से प्रेम करना चाहिए।उसका सम्मान करना चाहिए।अपनी क्या किसी की भी माँ हो ।सभी का आदर करे क्योंकि माँ तो माँ होती है।उससे अधिक आपको कोई प्रेम नही कर सकता हैं।
गर्भ में धारण करने से लेकर जन्म देने तक माँ बहुत सारी मुसीबतें उठाकर भी हमे इस दुनिया में लेकर आती हैं ।अपना जीवन दाँव पर लगाकर हमें जन्म देती है। जिसने हमें उँगली थामकर चलना सिखाया । हँसना-बोलना ,उठना ,बैठना ,खाना -पीना ,जीना ,सिखाया ।मुसीबत में बहादुरी से खड़े रहना सिखाया ।अपनी जरूरते अधूरी छोड़कर हमारी जरूरत पूरी की । ताकि हमे किसी बात की कमी ना रह जायें । वो माँ ही है जो हमारे लिए फ़िक्र करती हैं।घर आने तक राह देखती हैं । हमारे खाने के बाद खाती हैं । ताउम्र हमारी हँसी में ही हँसती है । हमारे रोने में जो रोयें वो माँ ही तो है। पर जब माँ बूढ़ी हो जाती हैं ।तब हम उसे बोझ समझते हैं। बात -बात में डाँटते है। हमारे तुतलाते हुए बोलने पर वो फूली नही समाती थीं ।पर आज हम उसे चुप रहने को कहते हैं। कभी जिसनें हमारे लिए अपनी जरूरतें मारकर एक- एक पैसा जोड़ा ताकि हमें खिलौने दिला सकें।हमारी जिद पूरी कर सके। आज जब उसे धुँधला नजर आता है ।तो उसके लियें चश्मा लाना भी फिजूलखर्च लगता हैं।
तुम्हारा पेट भरकर खुद भूखें पेट जो सोयें वो माँ ही है।आज उसके खाने- पीने को लेकर हिसाब- किताब लगाया जाता है ।एक प्याली चाय की कीमत बताईं जाती हैं।
कमअक्ल हो गए हो तुम लोग उसकी कुर्बानियों की कीमत प्राण देकर भी नहीं चुका सकते । उसके प्रेम को इस जहान की सारी धन- दौलत से भी नही तौल पाओगें। माँ का प्यार अनमोल होता हैं । इसलिये अपनी माँ को प्रेम और सम्मान दो।वर्द्धवस्था में उसका सहारा बनों ।उसका ख्याल रखों।
जब माँ अपने कई बच्चों को एक साथ सम्भाल सकती हैं ।तो क्या उसके बच्चे एक माँ की देख रेख नही कर सकते ।
उसकी छोटी -छोटी खुशियों का ध्यान रखें ।उसके लिए समय -समय पर तौहफे देते रहे । सुबह -शाम माँ चरण स्पर्श करके देखें ।इस दुनिया भर की खुशियां तुम्हारे दरवाजे पर आकर खड़ी हो जायेगी। समेट भी नहीं पाओगें ।माँ के दिल से निकलने वाली हर दुआ में हमारी भलाई छिपी है ।माँ अपने मरते दम तक अपने बच्चों को अनाथ आश्रम नही जाने देती चाहे उसे कितने भी अभाव में जीवन व्यतीत करना पड़े ।फिर हम क्यों अपने माता -पिता को व्रद्ध आश्रम छोड़ आते हैं।ऐसा ना करें ।अपनी माँ का ख्याल रखें।
अपनी मातृ भाषा का सम्मान करें । हिंदी हमारी मातृ भाषा है ।उसका अधिक से अधिक प्रयोग और प्रचार करें।
प्रकृति भी हमारी माता है । उसकी रक्षा करें ।पर्यावरण को शूद्ध रखें । पानी बर्बाद न करें । नदियों को गंदा न करें।अधिक से अधिक पेड़ लगायें । मिट्टी को भी दूषित होने से बचायें ।
जय माँ …..
भारत माता की जय…..
जय हिंद…….
नेहा धामा ” विजेता ” बागपत उत्तर प्रदेश