खुद को अत्यधिक व्यस्त पा रहे थे
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।
सुबह-सुबह काम वाली को
जो कि पति से रात मार खाकर आई थी,
यूं ही कोसे जा रहे थे ।
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।
पतिका नाश्ता, बच्चों का बैग सब आज के दिन
भुलाए जा रहे थे ,
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।।
सास ससुर रात की दाल से रोटी और बच्चे
ऑर्डर का बर्गर खा रहे थे,
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।
शाम की चाय, रात का डिनर बनाने की
हम जहमत नहीं उठा रहे थे।
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।
कीमती साड़ी, डायमंड नेकलेस, नई सैंडल्स
की नुमाइश लगा रहे थे,
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।
और हम में से कुछ बीती रात ,बीती ,
शारीरिक ,मानसिक प्रताड़ना से खुद को उबार रहे थे।
क्योंकि हम महिला दिवस मना रहे थे।
केवल एक दिन महिला दिवस ना मनाएं
खुद को स्वावलंबी ,आत्मनिर्भर, परिपक्व बनाए
न जुल्म करे ,न जुल्म सहें, न जुल्म का साथ दें
और आओ खुद पर करें गर्व
करतल ध्वनि से ‘सीमा कौशल’ का थोड़ा सा साथ दें।
देखती हूं दोस्तों कौन-कौन मेरे साथ है।
स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा