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आज फिर एक बार उत्साह से
‘महिला दिवस’ मनाया जायेगा
महिलाओं की उपलब्धियों का
बढ़ा चढ़ा गुणगान किया जायेगा।
माँ, बहन, बेटी, बहू जैसे कई
किरदारों को साकार किया जायेगा
रिश्ता में बंध कर मर्यादा निभाते
चरित्रों का यशगान किया जायेगा।
वीरांगनाओं के साहस की गाथाओं
को फिर से गाया जायेगा
त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्तियों
को शीर्ष स्थान दिया जायेगा।
विशेष कार्यक्रमों में आमंत्रित कर
सम्मानों से नवाज़ा जायेगा
स्वागत में उनके दिल खोलकर
राहों को फूलों से सजा दिया जायेगा।
इस एक दिन नारी को उसकी
विशिष्टताओं का भान कराया जायेगा
वर्ष के इस एक दिन महिलाओं
को आज़ादी का दान दिया जायेगा।
उसकी सुप्त शक्तियों को जाग्रत
करने का संदेश दिया जायेगा
समानता के अधिकार पर हक़
का आश्वासन भी दिया जायेगा।
पर क्या वाकई में स्त्री जैसा
चाहे वैसा ही ये जग बन जायेगा
क्या वास्तव में वो मान सम्मान
उसे जीवन भर कभी मिल पायेगा।
या वरदान जन्म लेने का उसके लिए
संसार में अभिशाप बन जायेगा
इज्जत की दुहाई देकर मन को
कितनी बार तार तार किया जायेगा।
स्वरचित
शैली भागवत ‘आस’