तेरी ममता की छाँव तले
ओ माँ , हम सारे बच्चे फुले फले,
जीवन की उस तपती धूप में,
दुनिया के मान अपमान , हार जीत के
विभिन्न स्वरूप में,
माँ तेरे ममता के आंचल की ठंढी
छाँव का ही तो सहारा था,
कभी रहा सुखों का सागर
तो कभी नदी का किनारा था,
माँ तेरे ममता के आंचल का ही
सहारा था,
अपने खून पसीने से सींच। तुने
बड़ा किया हमें ,
अपने पाँव पर खड़ा किया हमें,
हमें दिया पोषण
और दिया यह जीवन,
माँ तेरे ऋण से हो सकते
हम कभी उऋन नहीं,
यह जीवन मात पिता
सेवार्थ हेतू समर्पित,
हो जाये धन्य
कर दिया गर जो
अपने को अर्पित ।।
,,,,,,,,,,,,,डॉली मिश्रा ‘पल्लवि ‘✍️