उनकी याद में आज नयन अश्रुपूरित हुए,
देश के हित लाल जो समर्पित  हुए
  भरी जवानी को जो  कुछ पल ही जिए,
जहर यातनाओं के उन्होंने पिए,
जिस उम्र में वो देश हित फाँसी चढ़े ,
आजके नो जवां पथ भ्रमित हुए ।
न आसान था आजादी को लाना,
था न आसान गणतंत्र बनाना,
हँसते हँसते मिटा दी हस्ती अपनी,
तब जाके तिरंगे पल्लवित हुए।
न रिश्ते न नातों की आस थी,
मन में भारती की आजादी की प्यास थी,
अजब मतवाले थे रणबांकुरे,
जब तक है धरा उनके गुण गाएंगे।
माँ भवानी को कर शीश तृपित हुए।
अंजू दीक्षित,बदायूँ,
उत्तरप्रदेश।
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