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मकरसंक्रांति का पर्व है आया,
मिलजुलकर हम पर्व मनाएं।
एक दुजे से मन का बैर मिटाएं
आओ हम सब पर्व मनाएं।
गुड़ और तिल लड्डू बनाएं,
रिश्तों में मिठास भर लाएं।
मकरसंक्रांति का पर्व मनाएं।
मिलजुलकर हम सब पतंग उड़ाएं,
स्वप्नलोक की सैर कर के आए।
प्रेम की डोरी में बंधते जाएं
आओ हम सब स्वप्न सजाएं।
गुड़ की तरह वाणी में मिठास ,
घोलें जब भी बोले मिठास बोले।
तिल जैसी शीतलता हृदय में रखें
हर क्षण हम धैर्य बनाए।
दान पुण्य हम करते जाएं,
अपना जन्म हम सफल बनाएं।
उरद दाल चावल की खिचड़ी
गोरखनाथ मंदिर पर चढाएं।
उनको हमसब शीश नवाएं,
हमसब मिल कर पर्व मनाएं।
सुर्य देव की किरणों के हम गुण गाएं।
मंगल घड़ी ये है आई ,
पिता पुत्र के मिलन की तीथि
ले आई।
आओ हम सब पर्व मनाएं
द्वेष और घृणा की भावनाओं को
हम आपस में मिटाएं।
चलो प्रभु को समर्पित हो जाएं।
मानवता का धर्म अपनाएं।
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मकरसंक्रांति दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌹
अर्चना पांडेय,, आर्ची