आज अशोक की आँखों के आसूँ रोके नही रुक रहे थे।
तभी उसने अपने कन्धे पर किसी के हाथों की गर्मी महसूस की, पलटकर देखा तो वो अनीता थी, अशोक खुदको रोक न पाया और अनीता के गले लगकर फफक पड़ा।
अरे क्या हुआ आप पार्टी से इस तरह चले क्यों आए , और रो क्यों रहे ,किसी ने कुछ कहा क्या?????
अशोक को कुछ याद आया वो खुद को सभालते हुए बोला चलो चलते बाहर बरना हमें वहाँ न देखकर सब आ जांएगे।
अनीता –पर हुआ क्या बोलो तो।
अशोक– वो कल घर चलके बताता, कल सुबह थ निकलना है।
अनीता भांप गयी कि अशोक कहना नही चाहता पर कुछ हुआ जरूर है।
बरना वो इस तरह कल जाने की बात नही कहता, वो तो रुकने के हिसाब से आए थे।
आखिर वो उसकी पत्नी है पिछले 19 साल से दोनों का साथ था दोनों बिना कहे एक दूसरे को समझ जाते थे।
खैर अनीता भी बाहर लॉन में आ गयी।
सभी पार्टी का आनन्द ले रहे थे, पार्टी पूरे शबाब पर थी या अपने अंतिम चरण पर।
सभी धीरे धीरे अपने गंतव्य की ओर बड़ गए रवि, अजय उनकी पत्नियां भी अशोक को सोने का कहकर अपने रूम में चले गए।
अनीता अशोक भी सोने आ गए, पर अशोक की आँखों में नींद की जगह अफसोस था, इसी के चलते वह करवटें बदल रहा था।
आखिर अनीता से रहा नही गया वह बोल ही पड़ी क्या बात है जो आपको परेशान कर रही।
अब अशोक भी बोल पड़ा– अनीता दुनिया मे कितनी बड़ गयी, हर चीज का भाव आसमान छू रहा हर चीज महंगी हो गयी।
पर यह मंहगाई आपको आज ज्यादा अखर रही है।
पूरी गृहस्थी को पाला कभी मंहगाई न खली ,सारे खर्चे हँसतेहँसते वहन कर लेते थे, फिर आज जब सब खर्चे कम हो गए आप एकदम अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो फिर आपको मंहगाई याद आ रही।
अनीता मैं चीजों की महंगाई की बात नही कर रहा।
अनीता मैं बात कर रहा रिश्तों के महंगे होने की।
अनीता आश्चर्य से अशोक को देखती है।
अनीता तुमने देखा कल से मेरे दोनों भाई मुझे जताने में लगे वो कितने मंहगे मकान में रह रहे, कितनी महंगी फर्नीचर , कितना महंगा घर का हर सामान, टूथ पेस्ट से लेकर साबुन , महंगे जेल ,कपड़े चलो अच्छा है तुम सब बहुत अच्छे मंहगे कपड़े पहनते।
और तो और पार्टी खत्म हो गयी तो सभी के दिए गिफ्ट रखते वक्त यही कह रहे थे कितने मंहगे गिफ्ट दिए सबने,
और हमारे दिए फैमिली फोटू की एल्वम यह कहकर साइड में रख दी इसकी फ्रेम दुबारा करबा लेंगे क्योंकि जो हमने करवाई वो महगी नही है।
अशोक ने जब अनीता से मन की बात कह दी तो वह आराम से सो गया और अनीता उसे देखकर कह उठी, आज पहलीबार बुरी लगी कोई बात इनको अपने भाइयों की ।
लगनी भी चाहिए , जिन भाइयों के पीछे कभी दो पैसे न बचाए आज वो ही मंहगाई जता रहे , न जाने कब अनीता की आँख लग गयी ।
सुबह सभी उठकर हैरत में थे सभी पूछ रहे थे क्यों जा रहे भाई इतनी जल्दी वापस अभी तो 10 दिन ही हुए कहीं ज्यादा घूमें भी नहीं।
पर अशोक उनको समझाकर फ्लाइट में बैठकर जब अपने घर आ गए।
रात को अपने दो कमरे बाले उस मकान में अपने 20 साल पुराने दीवान पर लेटे , मन को अजीब सुखद अनुभूति हुई।
तभी अनीता फोन पर बात करती आ गयी लो कर लो अपने भईया से बात, करो बात रवि है।
प्रणाम भईया, आप ठीक से आ गए कोई परेशानी तो नही हुई आपको।
अशोक मुस्कुराते हुए, अपने घर आने में क्या परेशानी ,
भाई कैसा लगा आपको हमारा बनाया घर पूछा रवि ने।
अशोक ने बड़ी विनम्रता से कहा सब बहुत बढ़िया महंगा है हमारे घर से, हमारे देश से सब अच्छा ब्रांडेड है ।
पर एक चीज हमारे देश से ज्यादा महंगी है रवि।
क्या ???चीज भाई
अशोक आँसुओं से भरी आँखों को पोछते हुए बोले ,
रवि तुम्हारे शहर के रिश्ते बहुत मंहगे हैं।
वहाँ रिश्ते महंगे सस्ते के हिसाब से बनते हैं।
हमारा देश में आज भी हर चीज महंगी है पर रिश्ते आज भी सस्ते और टिकाऊ हैं।
कहकर अशोक ने फोन रख दिया।
अन्जू दीक्षित,
उत्तर प्रदेश।