भेद भाव क्यों करते सब
बेटे और बेटी में
मनाते बेटे का जन्म दिन
बड़ी धूम धाम से
बेटी के जन्म पर
चेहरे उनके लटक जाते
पग पग पर बेटी को ही
क्यों करना पड़ता
भेद भाव का सामना
अपने ही घर में
अपनो के बीच
क्यों सहनी पड़ती उपेक्षा,?
क्यों एक एक सांस को
संघर्ष उसे करना पड़ता?
क्यों बेटे को मिलती
दूध मलाई और
बेटी को रोटी भी पड़ती मांग ना
बात बात पर जताते अहसान
क्यों कराते होअहसास
हो तुम पराई
बेटे के जन्म पर बंटती मिठाई
मानते तारण हार
क्यों बेटी को मानते
नर्क का द्वार
अरे! मान दो उसे
उसके हक का सम्मान दो
वह भी तुम्हे गोरवान्वित कराएगी
झुकने नहीं देगी सर तुम्हारा
शान से ऊंचा कराएगी
छोड़ दो ऐसी मानसिकता
सड़े गले दकियानूसी विचार
बेटी को भी दो समान अधिकार।