बात उन दिनों की है जब सुधा मां बनने वाली थी।पता नहीं क्या परेशानी थी बच्चा ठहरता और फिर मिसकैरेज हो जाता था।शादी के दो साल बाद सुधा को सांतवा महीना चल रहा था । सुधा को हाई ब्लड प्रेशर रहने लगा था तो डाक्टर ने कंपलीट बैडरेसट बोला था ।जैसे ही सास को पता चला कि बैडरेसट है माथे पर हाथ रख कर रोने लगी ।सास टीचर थी सो घर का काम सदा ही बोझ रहता था।
सुधा जब से इस घर आयी थी उसने काम को ओढ़ सा लिया था ।सुनने मे आया था सुधा की शादी से पहले मां बेटी(सुधा की सास ननद)मे काम के लिए सदा झगड़ा रहता पर सुधा के आते ही जैसे उन्हें एक बिन तनख्वाह की नौकरानी मिल गयी थी।
पर अब बेडरेस्ट मे सुधा को काम नही करना था तो काम करेगा कौन घर का यही बहस बाजी चलती रहती थी। आखिर सास ने फ़रमान जारी कर दिया कि अगर ये काम नही करेंगी तो हम इसका काम नही करेंगे जैसे हम (ननद,देवर,सास)अपनी रोटी बना लेंगे तो ये अपनी और अपने पति की रोटी बना लेगी।मतलब सास ने बैडरेसट मे भी आधा घर का काम सुधा के जिम्मे डाल दिया। बेचारी शरीर में जोर ना होते हुए भी करती। काम के समय तो सास को कोई फ़िक्र ना थी कि बहू को हाई ब्लडप्रेशर है पर खाने के समय सास सारा दिन उसके खाने पर नजर रखती। गर्भावस्था में वैसे भी चटपटा खाने का दिल करता है पर सुधा हमेशा मन मार कर रह जाती एक दिन सुधा का परांठा खाने का दिल कर रहा था सिर्फ एक तरफ थोड़ा सा तैल लगा कर उसने परांठा बनाया सास तुरन्त जाकर उसके पति के कान भरने लगी ,”बेटा ये तो परोठे तल तल कर खाती है।पति ने आकर सुधा की जो धुनाई की ये सुधा को ही पता है।सांतवे महीने मे सुधा का मायके का टिकट कटवा दिया बेचारी दो अढ़ाई महीने पहले और दो महीने बाद मे मायके रही।जब घर का काम करने लायक हो गयी तब लेकर आये ससुराल वाले।
कहते है उस की लाठी मे आवाज नही होती आज सुधा के दो बेटे है सास को भंयकर स्टेज़ पर ब्लड प्रेशर रहता है कल ही डाक्टर के दिखा कर आये है डॉक्टर ने नमक और तली हुई चीजें बंद कर दी है घर मे कचोरी बनी है नाश्ते मे सुधा की सास जिद कर रही है कचोरी खाने के लिए।जैसे ही सुधा के पति आफिस जाते है सास कचोरी खाने की ज़िद करती है।सुधा पति के कहने पर सास को मना करती है खाने को ।सास बहुत बडा क्लेश कर देती है।खुब गालियां सुधा को सुनाती है मेरे खाने पर नजर रखती है आने दे पवन को नही तुझे सबक सीखाया तो।
सुधा सोच रही है आखिर ये अंतर क्यों ?
रचनाकार:- मोनिका गर्ग