मानों सबको सदा ही समान,
रहे सदा इस बात का ध्यान,
भूले से भी ना भेदभाव हो,
तभी बन सकोगे अच्छे इंसान।
भेदभाव में आख़िर रखा क्या,
बन जाता है यह अक्सर सजा,
भावों को सर्वोपरि रखना ही,
ज्ञानी की होती है अहम पहचान,
तभी बन सकोगे अच्छे इंसान।
सपने अपने चाहे बड़े रखना तुम,
पर चकाचौंध में ना हो जाना गुम,
कि दुःख सुख ना दिखे किसी का,
या व्यक्तित्व का ना रहे कभी भान,
तभी बन सकोगे अच्छे इंसान।
जीवन सबका ही होता है एक,
फिर क्यूं ना जी सके बनकर नेक,
भेदनाव को त्याग कर बढ़ो आगे,
व्यक्ति को ना समझो कभी सामान,
तभी बन सकोगे अच्छे इंसान।
पूजा पीहू