एक बार अपने परिवार के साथ एक पारिवारिक समारोह में गया हुआ था..। सब तरफ़ चकाचौंध… सुंदर सजावट… स्टेज के चारों ओर फूलों की लड़ियाँ… रंग बिंरगी लाइटें… बड़े बड़े स्पीकर.. उन पर बजता तेज़ संगीत…। लेकिन मेरा ध्यान सीधे एक जगह पर गया..।
जहाँ पर खाने पीने का इंतजाम था… मैने देखा की खाना खाने के बाद एक शख्स ने अपनी थाली में आधे से ज्यादा खाना प्लेट में ही छोड़ दिया था..और उसने वो थाली टैंट के पास ही रख दी थी..। लोगों की अच्छी खासी भीड़ थीं… किसी का भी ध्यान नही था उस पर…। लेकिन मैने देखा… अगले ही पल एक हाथ टैंट के नीचे से आया और उसने बड़ी सफाई से वो थाली… दूसरी तरफ़ खसका ली..। मैं समझ नहीं पाया ये सब कैसे और कौन कर रहा हैं…। मैं भाग कर टैंट की दूसरी ओर गया तो देखा… जिस आदमी ने थाली वहाँ छोड़ी थीं वो वहीं खड़ा था..। मैं पूरा माजरा समझने के लिए उनके करीब गया तो देखा.. दो छोटे बच्चे अधमरी हालत में उस खाने को खाने में इतने मशगूल थे की उन्हें मेरे आने का भी आभास नहीं हुआ…। मैंने उस शख्स से पूछा :- ये कौन हैं…?
उस शख्स ने कहा :- बेचारे चार दिन के भूखे बच्चे हैं… खाने दिजिए..।
मैंने कहा :: – लेकिन आपने इस तरह इनको खाना क्यूँ दिया..।
वो शख्स मुस्कुराया और बोला:- ये बड़े लोगों के चोचले हैं जनाब.. यहाँ नाली में खाना फेंकना इनको मंजूर हैं… लेकिन किसी जरुरत मंद और भिखारी को देना इनको मंजूर नही…। मैं खाना खा रहा था.. तब मैने इनको टैंट ऊपर करते हुए देखा था… ये बच्चे इंतजार में थे की कोई शख्स यहाँ वहाँ थाली रखें और ये उनकी जूठन खा सकें..। इसलिए मैने जानबूझकर तीन लोगों जितना खाना अपनी थाली में लिया… अपने हिस्से का खाकर इनको इनके हिस्से का दे दिया… ।
मैं उस शख्स की बातें सुनकर और उन भूखे बच्चों को देखकर सच में सोच में पड़ गया..। सच ही हैं… हम लोग सिर्फ दिखावे और बाहरी आडंबर के लिए कितना खाने का अपव्यय करते हैं..। आज भी ना जाने कितने बच्चे… कितने लोग भूखमरी की वजह मर जाते हैं..।
ना जाने कितने लोग एक वक्त का खाने को भी तरस जाते हैं..।
समारोह किजिए.. लेकिन खाने का अपव्यय करने से पहले एक बार उन लोगो का भी सोचकर देखिए…। उस दिन के बाद से मैने अपने भीतर बहुत परिवर्तन किया… मैं कभी जरूरत से ज्यादा खाना नहीं लेता था… और जब भी मौका मिलता था ऐसे लोगों की मदद जरूर करता था..।
किसी ने सच ही कहा हैं…
उतना ही लो थाली में..
की व्यर्थ ना जाए नाली में….।
जय श्री राम…।