कैसे वो अपनी जिंदगी,
जिए जा रहे हैं …
आंखों में आंसू और दर्द,
लिए जीवन जिए जा रहे हैं ..
एक समय की रोटी के लिए,
दरबदर है भटकते
भूखमरी का है जाल ऐसा
अपनी आंखों में बयां किए जा रहे हैं…
गरीबी का है मंजर, चारों ओर है फैला,
वो बच्चे अक्सर भूखे सो कर आसमां
को ओढ़ें लिए जा रहे हैं ..
भूखमरी जो कहीं पर,
ऐसे हालात हैं पैदा कराते..
आत्महत्या, चोरी, लूटपाट के
लिए मजबूर हैं किये जाते..
आखिर कब तक भुखमरी और गरीबी,
इंसान के साथ रहेगा..
कब तक वो गरीब बच्चा
खाने को तरसेगा..
एक युद्ध हम सबको भूखमरी के
नाम करना होगा..
पूरा देश हो सुरक्षित ऐसा काम करना होगा..
मंजू रात्रे ( कर्नाटक )