भेड़ चाल में माना होती राह आसान
भीड़ से अलग जो चलते ,दिखाते कमाल
न ख़ुद का रास्ता न मंजिल की ख़बर
पत्थर तोड़ निकलते ,वही पहुंचे शिखर
कहने को आजाद है हर कोई आज यहां
अपने किरदार को जीवंत करे, छू ले आसमां
अलग अपनी हस्ती रख अलग अपनी पहचान
ख़ुद के हौसलों से होती असली उड़ान
सौ रूकावटे माना रोकेगी तेरे अरमान
हर हार को जीत का प्यादा तू चल मान।।
रेणु सिंह राधे
कोटा राजस्थान