महाराजा वीर विक्रमादित्य को जानें
“भारत को सोने की चिड़िया” बनाने वाला।
बोलो कौन था ? असली राजा महाराजा।।
कौन था राजा ? जिसके राजगद्दी पर बैठने।
के बाद श्रीमुख से देववाणी निकलती थी।।
और देववाणी से ही उनका न्याय होता था।
उसके राज्य में अधर्म का संपूर्ण नाश था।।
महाराज विक्रमादित्य हिन्द देश के राजा थे।
दुःख है “महाराज विक्रमादित्य” के बारे में।।
देश के बच्चों को लगभग 0 बराबर ज्ञान है।
जिसने भारत का स्वर्णिम काल लाया था।।
वही भारत को सोने की चिड़िया बनाया था।
तभी भारत सोने की चिड़िया कहलाया था।।
उज्जैन के राजा गन्धर्वसैन को 3 संताने थी।
सबसे बड़ी लड़की उनके मैनावती था नाम।।
उससे छोटे थे गंधर्वसेन का यह पुत्र भृतहरि।
सबसे छोटे पुत्र का ये विक्रमादित्य था नाम।।
बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा।
राजा पदमसेन के साथ धूमधाम से कर दी।।
जिनको एक लड़का हुआ गोपीचन्द था नाम।
आगे वो श्रीज्वालेन्दर नाथ से योग दीक्षा ली।।
और तपस्या हेतु गोपीचंद जंगलों में चले गए।
मैनावती श्रीगुरू गोरक्षनाथ से योग दीक्षा ली।।
आज भारत देश एवं यहाँ की संस्कृति केवल।
उस विक्रमादित्य के कारण ही अस्तित्व में है।।
सम्राट अशोक मौर्य बौद्धधर्म अपना लिया था।
और बौद्ध बनकर 25साल वो राज किया था।।
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर।
आ गयाथा देश में बौद्ध और अन्य हो गया था।।
रामायण और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे।
महाराज विक्रमादित्य ने ही पुनः उनकी खोज।।
करवाया एवं इन पवित्र ग्रंथों को स्थापित किये।
विष्णु और शिव जी के कई मंदिर भी बनवाये।।
पुरा सनातन धर्म की रक्षा किया व उसे बचाया।
विक्रमादित्य के 9रत्नों में से एक थे कालिदास।।
जिन्होंने अभिज्ञान शाकुन्तलम जैसे ग्रंथ लिखा।
उसमे इस भारत का सम्पूर्ण इतिहास लिखा है।।
अन्यथा महान भारत का ये इतिहास क्या रहता।
हम भगवान कृष्ण और राम को ही खो चुके थे।।
हमारे ये ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर थे।
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़।।
श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली।
एवं तपस्या करने वो भी घने जंगलों में चले गए।।
राजपाट अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को देदिया।
वीर विक्रमादित्य ने भी श्रीगुरू गोरक्षनाथ जी से।।
गुरू दीक्षा लेकर वे अपना राजपाट सम्भालने लगे।
आज उनके ही कारण सनातन धर्म बचा हुआ है।।
हमारी ये भारतीय संस्कृति सभ्यता भी बची हुई है।
राजा विक्रमादित्य ने केवल ये धर्म ही नहीं बचाया।।
देश को आर्थिक तौर पे सोने की चिड़िया भी बनाई।
उसी राज को भारत में स्वर्णिम राज कहा जाता है।।
विक्रमादित्य के काल में भारतीय कपड़े ये विदेशी।
व्यापारी सोने के बिस्कुटों से वजन कर खरीदते थे।।
भारत में उस समय में इतना सोना आ गया था कि।
विक्रमादित्य काल में सोने के ही सिक्के चलते थे।।
आप गूगल इमेज पे भली भांति इसे देख सकते हैं।
विक्रमादित्य के यह सोने के सिक्के देख सकते हैं।।
कलेंडर में जो विक्रम संवत लिखा जाता है वह भी।
वीर विक्रमादित्य द्वारा ही स्थापित किया हुआ है।।
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे हिन्दी सम्वंत।
वार तिथि राशि नक्षत्र गोचर सब उनकी रचना है।।
वे बहुत पराक्रमी बलशाली और बुद्धिमान राजा थे।
कईबार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे।।
विक्रमादित्य के काल में हरेक नियम धर्मशास्त्र के।
हिसाब से बने होते थे न्याय राज सब धर्मशास्त्र के।।
नियमों पर ही उनके समय धर्मानुसार चलता था।
विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद।।
सर्वश्रेष्ठ माना गयाहै जहाँ उनकी प्रजा भी धनी थी।
और ये सम्पूर्ण राज्यवासी धर्म पर चलने वाली थी।।
बड़े दुःख की बात है कि भारत के सबसे महानतम।
राजा विक्रमादित्य के बारे में हमारे स्कूलों कालेजों।।
के पाठ्यक्रम में कोई महत्वपूर्ण स्थान नहीं दिया है।
ऐसा कर भारतीय धर्म संस्कृति को स्थान नहीं दिया।।
महाराजा विक्रमादित्य का शासन प्रशासन एवं धर्म।
देश के नवनिहालों और नागरिकों का यह बने कर्म।।
हमारी संस्कृति का ये ज्ञान हमारी पीढ़ियाँ जान सकें।
ये जय हिन्द जय भारत क्यों कहते हैं यह जान सकें।।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.