भारत देश की रक्षा में तत्पर वायु, थल व जल सेना के वीर जवानों
आपका अभिनंदन
हमेशा से ही युद्ध पर शांति को वरीयता दी जाती रही है। युद्ध में हमेशा ही बहुत कुछ खोना पङता है। देश हो या इंसान, युद्ध के बाद अक्सर बहुत पीछे पहुंच जाते हैं। अक्सर विचार का विषय यही है कि क्यों ये युद्ध होते हैं। क्या मनुष्य शांति से रह नहीं सकता। पर हर बात के दो पक्ष होते हैं। विश्व में सभी का चिंतन एक सा नहीं होता। चाहे सतयुग का समय हो या आज का समय, मनुष्य के रूप में दानव हमेशा रहे हैं। वे अपनी शक्ति से मानवता को नुकसान पहुंचाते हैं। फिर शांति स्थापित करने के लिये बहुधा युद्ध आवश्यक होता है। शांति हमेशा शक्ति से ही स्थापित होती है।
यदि रामायण और महाभारत की कहानियों में कुछ भी सच्चाई है तो इतिहास इस बात का गवाह है कि अक्सर मानवता की रक्षा के लिये बड़े बड़े युद्ध हुए हैं। पर इन युद्धों का सबसे ज्यादा दुष्परिणाम जिसे उठाना पङता है, वे सैनिक और उनके परिवार के लोग ही हैं। युद्ध में कितनी भी क्षति हो, देश जल्द अपनी राह चल देता है। पर वीर सैनिकों और उनके परिवार को जो क्षति होती है, वह कभी भी भरी नहीं जा सकती।
मेरी जानकारी में आजाद भारत की पहली प्राथमिकता देश का विकास थी। वैसे भी देश संसाधनों की कमी से जूझ रहा था। शायद इन्हीं कारणों से बहुत वर्षों तक भारत की सेना की शक्ति पर ध्यान नहीं दिया गया। शायद शांति के समक्ष शक्ति की आवश्यकता ही महसूस नहीं की गयी थी। पर जल्द ही चीन भारत युद्ध से स्थिति स्पष्ट हो गयी। यदि शांति से ही सब समस्याएं हल हो जातीं तो रामायण और महाभारत के युद्ध न होते। श्री राम ने अंगद को शांति दूत बनाया था। तथा महाभारत काल में खुद भगवान श्री कृष्ण शांति दूत बने। पर शांति स्थापित हुई तो युद्ध के बाद ही।
मुझे लगता है कि चीन का भारत पर आक्रमण अच्छा ही रहा। आखिर एक भ्रम तो टूटा। भले ही देश के विकास के लिये संरक्षित कुछ ओर धन रक्षा व शक्ति स्थापित करने में लगा। पर जल्द ही भारत शक्तिशाली देश बना। शक्ति के बलबूते अब शांति की बात विश्व पटल पर करता है तो विश्व के शक्तिशाली देश भी सुनने को बाध्य होते हैं।
सन १९७१ में आपके साहस के बलबूते भारत ने पाकिस्तान की साजिश नाकाम की। भारत हमेशा शांति का पुजारी रहा है। इसकी पुष्टि भी भारत ने पाकिस्तान के जीते भाग उसे वापस करके की। बताया जाता है कि उस युद्ध में पाकिस्तान को अमेरिका का पूर्ण समर्थन था। अमेरिका के जैट विमान व पैंटन टैंकों के भरोसे पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने का साहस किया। पर आज भी भारत के विभिन्न शहरों के चौराहों पर रखे टूटे पैंटन टैंक आपकी शौर्य गाथा को गाते हैं।
आज हम अपने घरों में आराम से इसलिये सो रहे हैं कि आप दिन रात जगकर हमारी रक्षा कर रहे हैं। जहाॅ अभी सर्दी की शुरुआत में ही हम ठंड से सिकुड़ रहे हैं, वहीं आप सियाचिन की भीषण ठंड में हमारी रक्षा कर रहे हैं। हमारे घरों में हर वर्ष दीपावली इसी लिये मनायी जाती है क्योंकि आज भी आपमें से कइयों के घरों पर दीपावली खोटा त्यौहार है। यद्यपि एक पत्र में आपको कृतज्ञता ज्ञापित करना सचमुच बहुत कठिन काम है फिर भी मैं केवल कोशिश कर रहा हूं। न केवल युद्ध में, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं में भी आप ही हमारी रक्षा करते हों। मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूं। आपका अभिनंदन करता हूं ।
आपका कृतज्ञ
दिवा शंकर सारस्वत ‘ प्रशांत’