आइये अपने देश की संस्कृति को जानें।
अपने बच्चों को ये बताएं खुद भी जानें।
दो पक्षों का होता है ये हरेक हिंदी माह।
कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष आता है हर माह।
15-15 दिनों का ही होता है हरेक पक्ष।
परिवा तिथि से अमावस व पूर्णिमा पक्ष।
जीवन में सबके होता है केवल तीन ऋण।
देव ऋण पितृऋण एवं तीसरा ऋषि ऋण।
जो समय बंटा है जिसे हैं कहते चार युग।
ये सतयुग त्रेतायुग द्वापरयुग एवं कलयुग।
भारत में माना जाता है केवल चार धाम।
द्वारिका बद्रीना.जग.पुरी रामेश्व.
धाम।
चार जगह है भारत की जिसे कहते पीठ।
जोशीमठ बद्रीधाम को कहें ज्योतिष पीठ।
शारदापीठ(द्वारिका)जगन्नाथ गोबर्धन पीठ।
और चौथा मशहूर है भारत का श्रृंगेरी पीठ।
ऐसे ही भारत का जाना जाता है चार वेद।
ऋग्वेद अथर्वेद यजुर्वेद व चौथा साम वेद।
जीवन भी बंटा हुआ है कुल आश्रम हैं चार।
ब्रह्मचर्य गृहस्थ वानप्रस्थ सन्यास यही चार।
अंतःकरण भी होता है सभी मिला के चार।
मन बुद्धि चित्त एवं अहंकार ये हैं कुल चार।
पंच गव्य कहलाता है जिनकी संख्या पाँच।
गौ का घी दूध दही गोमूत्र व गोबर है पाँच।
पंच देव में गिनती होती है ये भी कुल पाँच।
गणेश विष्णु शिव सूर्य और एक देवी पाँच।
पंच तत्व ये कहलाता है यह भी जानें आप।
क्षिति जल अग्नि वायु नभ से बने हम आप।
इसी तरह छः दर्शन ये हैं इसे भी जानें आप।
वैशेषिक न्याय ऋशांख्य योग ये जानें आप।
पूर्व मिसांसा दक्षिण मिसांसा ये जानें आप।
ये कुल छः दर्शन हैं आज जिसे जानें आप।
सप्तऋषियों में कौन-कौन हैं जानें ये ऋषि।
विश्वामित्र जमदाग्नि भारद्वाज गौतम ऋषि।
पंचवे ऋषि अत्री हैं और छठवें वशिष्ठ ऋषि।
सातवें को भी तो जानें वह हैं कश्यप ऋषि।
सात पुरी हैं दुनिया में जिसे कहें सप्त पुरी।
अयोध्या मथुरा माया(हरिद्वार) काशी पुरी।
कांचीपुरी(शिन कांची-विष्णु कांची)हैं पुरी।
छठी अवंतिकापुरी है सतवीं द्वारिका पुरी।
यम नियम आसन चौथा प्राणायाम योग।
पंचम प्रत्याहार है और खष्ठं है धारणा योग।
सतवां ध्यान योग है व अठवां समाधि योग।
इसी तरह से होते हैं कुल मिलाके 8 योग।
ऐसेही लक्ष्मी की संख्या है कहें जिन्हें लक्ष्मी।
आग्ध विद्या सौभाग्य अमृत एवं काम लक्ष्मी।
छठीं लक्ष्मी सत्य सतवीं को कहें भोग लक्ष्मी।
आठवीं लक्ष्मी को ही कहते हम योग लक्ष्मी।
रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.