1904 में जन्में शास्त्री मुगलसराय वाराणसी।
दुनिया मे पवित्र स्थान बाबा विश्वनाथ काशी।।
2अक्टूबर जन्मदिन लाल बहादुर शास्त्री का।
भारत माँ के अनमोल रत्न श्रीमन शास्त्री का।।
पिता मुंशी शारदा प्रसाद हैं माता राम दुलारी।
कायस्थ शिरोमणि कुलभूषण की छवि प्यारी।।
पिता एक शिक्षक थे माता उनकी थी गृहिणी।
डेढ़ वर्ष की आयु में पितृ छाया दूर हुई गहरी।।
पढ़ने जाते कई मील दूरी तय करके नंगे पांव।
भीषण गर्मी में भी जाते रोड गर्म एवं न छांव।।
1927मिर्जापुर में हुई शादी कायस्थ परिवार।
ललिता देवी संग ब्याह हुआ बसा घर परिवार।।
रेल,परिवहन,संचार,उद्योग,वाणिज्य,गृह मंत्री।
लाल बहादुर शास्त्री रहे कई विभागों के मंत्री।।
1रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी ले त्यागे पद मंत्री।
1964में शास्त्री जी बने भारत के प्रधानमंत्री।।
भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री की शोभा बढ़ाए।
राष्ट्रप्रेम,ईमानदारी,निडरता से शासन चलाए।।
कद काठी से छोटे थे बहादुर थे शास्त्री नाम।
नारा दिया अमर है जय जवान जय किसान।।
निर्भीक बहादुर दृढ़ इच्छा शक्ति से बड़े महान।
अटल इरादे के पक्के शास्त्री जी थे बड़े महान।।
भारत-पाक युद्ध दौर में सेना का मान बढ़ाया।
देशवासियों से अपील में सेना हेतु अन्न बचाया।।
हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के हैं जनक आप।
देश को खुशहाल रास्ते पर लेकर के चले आप।। 
11जनवरी1966 को ताशकंद में संदिग्ध मौत।
सच का कोई पता चला न कैसे हुई है यह मौत।।
उनके पास पीएनबी लोन की 1फिएट कार थी।
पेंशन के पैसे से पत्नी कार का लोन चुकाई थी।।
कहते थे लोगों को सच्चा लोकतंत्र मिल सकता।
हिंसा-असत्य से कभी स्वराज ना मिल सकता।।
भारतरत्न शास्त्रीजी ने ये जीवन समर्पित किया।
किसानों-सैनिकों के कल्याण देशसेवा में दिया।।
सारा सच कैसे आ सकताहै 1छोटी कविता में।
लिखने को बहुत पड़ा है शास्त्री पर कविता में।।
शत शत नमन व वंदन हे! भारत के प्रिय लाल।
सादगी के प्रतिमूर्ति अप्रतिम प्रधानमंत्री लाल।।
श्रद्धा सुमन समर्पित तुमको हे ! भारत के वीर।
कोटि कोटि नमन है तुमको हे !योद्धा हे ! वीर।।
         रचयिता :
डॉ. विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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