हांफ रहा है
दो पल का चैन नहीं
ना जाने कैसी अंधी दौड़ है
सबको पीछे छोड़ देगा
आगे आगे दौड़ लेगा
जाने कोन सी वो मंजिल है
जिसकी उसे तलाश है
आपाधापी मची हुई है
मशीनीकरण हो गया जीवन का
रिश्ते नातों की हुई हत्या
संवेदनाएं मर गई है
दो पल की फुर्सत नहीं
बैठ कर सुस्ता ले कहीं
डरता है कही पिछड़ न जाऊं
नंबर वन बनना मुझे
आगे बढ़ने की चाह में
अपनो से मुंह मोड़ लिया सीएम
जरूरत पड़ने पर उनको ही
सीढ़ी बना बढ़ गए।।