रूबरू कभी खुद से भी हो लिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
कभी अपने लिए भी जी लिया करो
कभी अपने मन की भी कर लिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
भुला दिया करो कभी अधूरे से ख्वाबों को
कभी पूरी हुई उम्मीदों को भी जी लिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
थक जाओ गर भाग दौड़ भरी जिंदगी से
तो बैठ कर दो पल कभी तो इत्मीनान से
खुद को भी समझ लिया करो
तो कभी खुद को भी समझा लिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
छोड़ कर सारे शिकवे गिले जिंदगी से
कभी दो पल के लिए ही सही
थोड़ा तो मुस्कुरा लिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
पाया है बड़े भाग्य से
मनुष्य का जन्म इस धरा पर
तो कभी उस खुदा का
शुक्रिया भी कर दिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
जो नहीं मिला उसका अफसोस छोड़कर
जो मिला है उसकी कद्र भी कर लिया करो
रूबरू कभी खुद से भी हो लिया करो
हां एक मुलाकात कभी
खुद से भी कर लिया करो…
कविता गौतम…✍️