हर सुबह संकेत है, जीवन के गतिमान होने का
अंधेरों से उबरकर रोशनी से रूबरू होने का।
तमस को अंतस से दूर कर फिर से
उम्मीद और आशाओं का संचार होने का।
अच्छे कर्मों का फल देर सबेर मिलेगा सदा।
बुराई की हार, अच्छाई की जीत तय है सदा।
‘भाग्य का खेल’ है कभी भी ये पलट जायेगा
हर काली स्याह रात का तय होता है अंत सदा।
ढलता सूरज देता है चाँद को आने का मौका।
गिरे तो मिलता है उठ कर सँभलने का मौका।
दृढ़ संकल्प हो मन में तो चमकने को है आसमां
सूरज की तरह या चंद्र की तरह मिलेगा मौका।
स्वरचित
शैली भागवत ‘आस’