जिंदगी एक
दौड़ है ,इंसानों की
भागते जाना
न रुकना है
न हिम्मत हारना
बढ़ते जाना
गिर भी गए
गर तुम, उठके
संभलना है
उमंग भरी
आशा से ,तुमको है
आगे बढ़ना
सफल होंगे
इस दौड़ में, तभी
लक्ष्य पाओगे
जिंदगी एक
दौड़ है, इंसानों की
भागते जाना
मनीषा ठाकुर (कर्नाटक)