👺👹👿
जिधर भी देखो बुद्धि से भ्रष्ट हैं लोग,
वो चाहे सरकारी कर्मचारी हो ,या नौकरशाही,
गांव के दलाल हो या देश के नेतागण,
क्या कहूं मैं इन्हें और कितने नाम लूं 🙄,
जुबान थक जाए हमारे,
लेकिन इनके भरष्टाचार नहीं थकेंगे और नही थमेंगे,
क्यों करते हैं गुस्ताखियां हमारी,
जब लेनी हो कोई  काम हमारी,
कर देते मति भ्रष्ट हमारी👺,
पैसे का लालच देकर लूट लेते रोजी रोटी हमारी,
जो बढ़ते जा रही प्रकोप इनके,
पांव पसारने में जो तेज है इनके,
पड़ गए हैं कोरोना पड़ भारी🙄,
जब पड़ती है मार गरीबी पर इनकी,
लोग झुलस सी जाते हैं खून पसीने की कमाई,
है ये कोई अमीरी बीमारी या कोई भूत प्रेत का साया 👹,
जो जाती नहीं कही और आशियाना बनाने,
या डूब मरे सब समुंदर किनारे…,
बाल विवाह हो  या तीन तलाक लोगों की,
बन पड़े हैं इनके कानून व्यस्था ,
पर भ्रष्टाचार पर कानून की आंच तक ना आई😠,
आखिर कब तक सुधरेंगे ये भ्रष्ट बहरूपिया,
कब ईमानदारी से राष्ट्र काम में कराएंगे,
भ्रष्टाचार में जो सलग्न हैं पुरुष जनानी,
उन्हें प्रकृति की खौफ है प्यारी🤨,
कान खोलकर सुन लो जो कहता है मनीष जमाना🤫,
मर जाओगे बीमारियों से जब,
बद्दुआओं की महफिल सजेगी तुम्हारी,
तुम भूल सकते हो गरीबी पुरखों की,
लेकिन हम छोड़ेंगे नहीं तुम्हें, तुम्हारी भ्रष्ट में कमाई अय्यासी की,
ये लिखकर मनीष मरजावां, 
देता है तुम्हे सुधरने की अंतिम चेतावनी,
और लेता है भ्रष्टाचार से अंतिम विदाई,
जय मां शारदे , जय भवानी🙏💪।
🌺🌺🌺🌺
✍️✍️✍️मनीष कुमार 💘
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