आज रश्मिरथी ने दैनिक लेखन में विषय दिया है”भगवान परशुराम” तो चलते हैं उनके विषय में कुछ जानकारियाँ संकलित करते हैं। जहाँ मेरा जानना है परशुराम जी सतयुग से संबंध रखते हैं और भगवान विष्णु के छठें अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। वे बहुत क्रोधी और जिद्दी स्वभाव के थे।अपने पिता के आज्ञाकारी पुत्र थे। रामचरितमानस में भी उनका वर्णन और दृष्टांत चित्रण देखने को मिलता जिसे पढ़ते समय ऐसा लगता है मानो सजीव चलचित्र चल रहा हो।
महाभारत काल में भी इनकी चर्चा मिलती है।इनको क्षत्रियों से बहुत नफ़रत थी। इसी लिए कर्ण ने ब्राह्मण का वेश रखकर इनसे अस्त्र शस्त्र की शिक्षा ग्रहण की थी,एक घटना वश भेद खुल जाने पर क्रोधातुर होकर शिक्षा देना बंद कर दिया और कर्ण को श्राप भी दे दिया था।
अपने पिता के ऐसे पुत्र थे कि माँ की ममता और वात्सल्य भी उन्हें प्रभावित न कर सका। पिता के कहने मात्र से उन्होंने अपनी माँ के सर पर हथियार चलाकर उनकी हत्या अपने ही हाँथों से कर दी जबकि उनके अन्य भाइयों ने स्पष्ट इंकार कर दिया था।
ऋषि जमदग्नि उनके पिता का नाम था,और माता का नाम रेणुका था।
कहते हैें कि भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर किया गया पुण्य कभी खत्म नहीं होता। जो वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती पूरे देश में मनाई जाती है। यही इन महानुभाव का जन्मदिन है।जो सन् 2022 में 3 मई को है।अर्थात् कल ही है।
वैसाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को परशुराम जयंती देश के अलग-अलग हिस्सों में खास रूप से मनाई जाती है। इस बार भगवान परशुराम जयंती तीन मई को है। उसी दिन अक्षय तृतीया भी है। इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता। तृतीया तिथि की शुरुआत तीन मई मंगलवार प्रात: 5:20 से तृतीया तिथि की समाप्ति 4 मई 2022, बुधवार को सुबह 7:30 बजे तक है। ऐसा इस वर्ष के पंचांग मेें देखने को मिला है।
भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु माने जाते हैं भगवान परशुराम। परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे स्वरूप के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। हर वर्ष परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था इसीलिए प्रदोष काल में जब तृतीया तिथि प्रारंभ होती है तब इसे परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है। भगवान विष्णु के छठे स्वरूप ने धरती पर राजाओं द्वारा किए जा रहे अधर्म, पाप और जुल्म का विनाश करने के लिए जन्म लिया था। इतना ही नहीं, हिदू मान्यताओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि सात चिरंजीवी पुरुषों में से परशुराम एक हैं और वह अभी भी इस धरती पर जीवित हैं।
कल के “परशुराम जयंती” और अक्षय तृतीया पर्व की सभी सुधी पाठकों को भूरि-भूरि अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएँ!🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏
धन्यवाद!
राम राम जय श्रीराम!
लेखिका- सुषमा श्रीवास्तव, मौलिक रचना,सर्वाधिकार सुरक्षित रुद्रपुर, उत्तराखंड।