भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ध्वज है। यह हिंदू धर्म के प्रत्येक आश्रम ,मंदिर पर फहराया जाता है। भगवे ध्वज में सूर्य का तेज समाया हुआ है। यह भगवा रंग त्याग, शौर्य ,आध्यात्मिकता का प्रतीक है। भगवान श्री कृष्ण के द्वारा सारथ्य किए गए अर्जुन के रथ पर भगवा ध्वज ही विराजमान था। भगवा ध्वज रामकृष्ण, दक्षिण के चोल राजाओं ,सम्राट कृष्णदेव राय, छत्रपति शिवाजी ,गुरु गोविंद सिंह और महाराजा रणजीत सिंह की पराक्रमी परंपरा और सदा विजयी भाव का सर्वश्रेष्ठ प्रतीक है। इसमें यदि सम्राट हर्ष और विक्रमादित्य का प्रजा वत्सल राज्य अभिव्यक्त होता है तो व्यास ,दधीचि और समर्थ गुरु रामदास से लेकर स्वामी रामतीर्थ, स्वामी दयानंद ,महर्षि अरविंद, रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद तक का वह अध्यात्मिक तेज भी प्रकट होता है, जिसने राष्ट्र और धर्म को संयुक्त किया तथा आदि शंकर की वाणी से यह घोषित करवाया की राष्ट्र को जोड़ते हुए ही धर्म प्रतिष्ठित हो सकता है। भगवा ध्वज का रंग केसरिया है। यह उगते हुए सूर्य का रंग है । इसका रंग अधर्म के अंधकार को दूर करके धर्म का प्रकाश फैलाने का संदेश देता है। यह में आलस्य और निद्रा को त्याग कर उठ खड़े होने और अपने कर्तव्य में लग जाने की भी प्रेरणा देता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि जिस प्रकार सूर्य स्वयं दिनभर जलकर सबको प्रकाश देता है इसी प्रकार हम भी निस्वार्थ भाव से सभी प्राणियों के नित्य और अखंड सेवा करें। यह केसरिया रंग हमें यह भी याद दिलाता है कि केसर की तरह ही हम इस संसार को महकायें। भगवा ध्वज में दो त्रिभुज हैं ,जो यज्ञ की ज्वालाओं के प्रतीक हैं । ऊपर वाला त्रिभुज नीचे वाले त्रिभुज से कुछ छोटा है । ये त्रिभुज संसार में विविधता, सहिष्णुता, भिन्नता, असमानता और सामंजस्य के प्रतीक है । यह हमें सिखाते हैं कि संसार में शांति बनाए रखने के लिए एक दूसरे के प्रति सामंजस्य  सहअस्तित्व ,सहकार सद्भाव और सहयोग भावना होना आवश्यक है । 
 भगवा हमारा सबसे बड़ा गुरु, मार्गदर्शक और प्रेरक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किसी व्यक्ति विशेष को अपना गुरु नहीं माना है बल्कि अपने परम पवित्र भगवा ध्वज को ही गुरु के रूप में स्वीकार और अंगीकार किया है। भगवान ध्वज का निर्माण संघ ने नहीं किया । संघ ने तो उसी परम पवित्र भगवा ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया है, जो कि हजारों वर्षों से राष्ट्र और धर्म का ध्वज था। भगवा ध्वज के पीछे इतिहास है, परंपरा है । वह हिंदू संस्कृति का घोतक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू राष्ट्र की रक्षा के निमित्त हुआ है। जो जो वस्तुएं इस संस्कृति की प्रतीक है ,उसकी रक्षा संघ करेगा। भगवा ध्वज हिंदू धर्म और हिंदू राष्ट्र का प्रतीक होने के कारण उसे राष्ट्रध्वज माना संघ का परम कर्तव्य है। हम किसी व्यक्ति की पूजा नहीं करते क्योंकि हम किसी भी व्यक्ति के बारे में विश्वास नहीं दिला सकते कि वह अपने मार्ग पर अटल ही रहेगा। केवल तत्व ही अटल पद पर आरुढ रहा करते हैं, अथवा ध्वज अटल है। 
गौरी तिवारी 
भागलपुर बिहार
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