शुक्ल पक्ष तृतीया बैशाख मास
अविनि पर गंगा अवतरण कृष्ण
सुदामा मिलन शुभ अवसर पदोष
काल।।
आखा तीज मंगल शुभ मुहूरत
धन बैभव शुख सबृद्धि प्रसन्न मगन
युग प्राणि प्राण ।।
भृगुकुल भूषण ऋचीक पौत्र जमदग्नि पंचम पुत्र विष्णु के षष्टम औतार माँ
रेणुका कोख मान अभिमान भार्गव
पशुराम अवतार।।
सप्त चिरंजीवी में सम्मिलित गौरव
शिव शक्ति शिव आशीर्वाद शिव परम कृपा ज्ञानी योद्धा धैर्य धीर गम्भीर रण बीर दिग्दर्शक परशुराम।।
अत्याचारी अन्यायी राजा शासन शासक से अविनि को किया भय मुक्त मुक्त भार इक्कीस बार।।
नही क्षत्रिय कुल द्रोही जन
आकांक्षाओं के प्रतिनिधि प्रतिबिम्ब युग अविनि भाग्य भगवान
परशुराम।।
मृतसंजीवनी विद्या के ज्ञाता देवब्रत
भीष्म गुरु शिष्य गुरु महिमा मर्यादा
सत्त्यार्थ कर्ण को दिया गया मिथ्या से मर्माहत भगवान परशुराम।।
पिता आज्ञाकारी पिता आज्ञा से वध
कर डाला माता और भ्राता चार पिता
आज्ञा से पुनर्जीवित कर माता भ्राताओं को अमर अवतार भगवान
परशुराम।।
सहस्त्रबाहु की धृष्टता का दंड दिया
अनेको अनुष्ठान यज्ञ किया युग प्राणि
कल्याणार्थ नारी गौरव रक्षा हेतु शिष्य
भीष्म से पराजय भी स्वीकार।।
आत्म सत्य के सत्य बोध धर्म कर्म
मर्म मर्यादा की गरिमा महिमा महत्व
युग उद्धार अन्याय अत्याचार से मुक्त
संसार उद्देश्य परशुराम अवतार।।
अक्षय तृतीया पावन दिवस पर्व
धन बैभव लक्ष्मी विष्णु भाव भक्ति
अवसर पावन भगवान परशुराम अवतरण आवाहन अवतार।।
योगी सन्यासी बैरागी ब्रह्मचारी
ब्राह्मण संस्कृति संस्कार परम
प्रकाश भगवान परशुराम लोभ
मोह से मुक्त मोक्ष मार्ग सार भगवान
परशुराम।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश