भाग -२
विद्यार्थियों के नाम पत्र –
(भगत सिंह और बटुकेशवर् दत्त ने ये पत्र जेल से भेजा था। जो की 19 अक्टुबर, 1929 को पंजाब छात्र संघ, लाहौर के दूसरे अधिवेशन में पढ़कर सुनाया गया था। और अधिवेशन के सभापति नेताजी सुभाषचंद्र बोस थें।)
भगत सिंह अपने पत्र में लिखते हैं कि-
इस समय नौजवानों से हम यह नहीं कह सकते कि वे बम और पिस्तौल उठाएं। आज विद्यार्थियों के सामने इससे भी अधिक महत्वपूर्ण काम है। आने वाले लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस देश की आजादी के लिए जबरदस्त लड़ाई की घोषणा करने वाली है । राष्ट्रीय इतिहास के इन कठिन क्षणों में नौजवानों के कंधों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ पड़ी है।
क्या परीक्षा की इस घड़ी में वे उसी प्रकार की दृढ़ता और आत्मविश्वास का परिचय देने से हिचकिचायेंगे ?नौजवानों को क्रांति का संदेश को कोने कोने में पहुंचाना है । फैक्ट्री ,कारखानों के क्षेत्रों में ,गंदी बस्तियों और गांवों की जर्जर झोपड़ियों में रहने वाले करोड़ों लोगों में इस क्रांति की अलख जगानी है ,जिससे आजादी आएगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण अंसकद हो जाएगा। आज देश के प्रति अपनी श्रद्धा और शहीद जतिंद्रनाथ दास के बलिदान से प्रेरणा लेकर यह सिद्ध कर दें की स्वतंत्रता के इस संघर्ष में दृढ़ता से टक्कर ले सकते हैं।
22 अक्टुबर, 1929 के ट्रिब्यून (लाहौर) में प्रकाशित
गौरी तिवारी, भागलपुर बिहार