महात्मा बुद्ध का जीवन दर्शन महान है,
जनजीवन पर आज भी इसकी अमिट
छाप है।
कर्म, ध्यान एवं प्रज्ञा इसके आधार रहे है,
दुखों से मुक्ति इसका एकमात्र ध्येय रहे है।
बौद्ध दर्शन के अपने कुछ विचार है,
धर्म एवं नैतिकता का देते ये ज्ञान है।
संपूर्ण अपेक्षाएं अपने से ही रखो,
जलो और अपने दीपक स्वयं बनो।
मध्यम मार्ग से संतुलित जीवन रखो,
अतिवादी व्यवहार से बचकर रहो।
दुख दूसरों के तुम सदा महसूस करो,
संवेदनशील बन जीवन व्यतीत करो।
त्याग अहंकार का कर बनो तुम समर्थ, 
अनमोल जीवन कहीं बीत न जाये
व्यर्थ।
हर मानव के अंदर ईश का ही वास है,
हृदय मैं अच्छाई का कोना सबके पास है।
स्वरचित
शैली भागवत “आस”
इंदौर
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