#रश्मिरथी साप्ताहिक प्रतियोगिता
धनेश्वर राय एक बहुत ही बड़े आदमी थे। अपनी कारोबार के ज़रिए वो आस पड़ोस में काफ़ी परिचित थे। वो गांव में अपने बीवी संगीता और तीन बेटे के साथ रहते थे। गांव में सबसे ज्यादा अमीर होने के कारण वो बहुत ही घमंडी और लालची थे । दूसरों को हमेशा नीच समझते थे,उनके ऊपर हुक्म चलाते थे, पैसे सुध में लगाते और ज्यादा भाव में वापस भी लेते थे। उनसे जरूरत पड़ने पर पैसा मिल जाता था,इसीलिए लोग थोड़ी बहुत इज्जत भी देते थे उनको। उनकी बीवी बहुत ही शांत स्वभाव की थी। पढ़ी लिखी और खूबसूरत भी थी। दूसरों के दर्द समझती थी और जब धनेश्वर राय से छिपते छिपाते दूसरों की मदद भी करती थी। एक दिन इसके बारे में धनेश्वर को पता चल गया तो उसने संगीता को बहुत मारा। ये सब उसके बच्चे देख रहे थे पर कुछ न बोले।धीरे धीरे तीनों बेटे बड़े हो रहे थे, बड़े होने के साथ साथ नालायक और बदतमीज भी बनते जा रहे थे। धनेश्वर राय ये सब अनदेखा करता रहता था। वो सोच रहा था,”मेरे पास तो इतने सारे पैसे हैं, बच्चों को काम करने की क्या जरूरत?”. वो अपने लड़को से बहुत प्यार भी करता था। मुंह मांगी चीज लाके देता था। भले ही वो लालची था,पर बेटों के लिए सब कुछ करता था। और बाहर सीना तान के कहता था की मेरे तीन तीन बेटे हैं। उसके लाड प्यार की वजह बच्चे पूरी तरह बिगड़ चुके थे। समय बीतता गया। तीन बेटों की शादी हो चुकी थी। वो सब एक साथ घर में रहते थे। पैसों के लिए आपस में झगड़ते थे। तीनों के तीनों अपने बाप पर गए थे। लालची और घमंडी।धनेश्वर राय बूढ़े होने के साथ साथ कमज़ोर होने लगा था। एक दिन वो सब कुछ अपने तीनों बेटों के नाम कर दिया और सोचा अब आराम से खाऊंगा पिऊंगा रहूंगा। धीरे धीरे वो बीमार होने लगा। वो सोच रहा था की तीन बेटे मिलकर उसका इलाज कर देंगे। पर उसका वो सोच गलत निकला। इलाज तो बहुत दूर की बात है, कोई बेटा पानी तक देने को न आया। उसकी बीवी सिलाई बुनाई की काम करने लगी और जो पैसे आते थे, उसे दवाई खरीद कर इलाज कर रही थी। उसे ज्यादा कुछ फायदा न हुआ। उसे हस्पताल ले जाना पड़ा। धनेश्वर राय को बहुत ही दर्द हो रहा था, वो दर्द में रो रो कर अपने तीनों बेटों को बुलाने लगा। उनके आगे हाथ जोड़ कर उसे बचाने को बोला। पर किसीने एक ना सुनी। उसे पता चला गया की वो अब ज्यादा देर तक नहीं बचेगा। तो उसे याद आया कैसे वो तीनों बच्चों को बिगाड़ा था। अगर उस समय अच्छी संस्कार अच्छी शिक्षा दिया होता, शायद ये दिन देखना ना पड़ता। उसकी सांस धीरे धीरे कम हो रही थी। आंखे तक खुल नहीं पा रहा था वो। इतने में उसके मुंह से निकल आया,”बोया पेड़ बबुल का तो आम कहां से होय”. और उसके सांसे थम गई।