धारावाहिक – अंतिम भाग
फूलन देवी ने 22 ठाकुरों की एकसाथ हत्या कि थी, जिससे आस पास के सभी लोग क्रोध से भर गये थें।इनका बदला पूरा हो चुका था इसलिए इन्होंने अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य में खुद को सलेंडर किया ।जिसके बाद इन्हें कारावास की सजा सुनाई गई। कारावास में भी इनके साथ छल किया गया। डाक्टरों ने मिलकर इनका ऑपरेशन कर इनके शरीर से बच्चेदानी निकाल दिया । डॉक्टरों से जब इसका करण पूछा गया तो उन्होंने कहा मैंने यह इसलिए किया ताकि फिर कोई “बैंडिट क्वीन ” जन्म ना ले सके । बिना बताए किसे के शरीर से कोई भी अंग निकाल लेना क्या यह कानूनी अपराध नहीं है ?
जेल से बाहर आने के बाद इनका विवाह एक राजपूत लड़के से हुआ। जहाँ इन्हे बहुत से लोगो ने मिलकर सांसद में खड़ा कर दिया। जब इन्हें सांसद का टिकट मिला तो कुछ लोगों ने इनका जम कर विरोध किया जिससे दंगे जैसा माहौल बन गया, किंतु जो लोग इनके समर्थन में थे उन्होंने सब कुछ अच्छे से संभाल लिया। एक बार तो वह जीत गई लेकिन दूसरे बार हार गई। तीसरी बार जब वह फिर से खड़ी हुई तो फिर से उन्हें जीत हासिल हुई।आखिरकार उनकी मृत्यु की घड़ी नजदीक आ गई थी ।इन्हें मृत्यु के पश्चात भी इंसान नहीं मिला। कहा जाता है की इनके मृत्यु के पीछे इनके पति का ही हाथ था किंतु ये कभी साबित नहीं हो पाया। ऐसा कहा जाता है कि इनसे मिलने एक व्यक्ति आया था , जो की इनके जान -पहचान का ही था , इन्होंने उसे खाने के लिए खीर दिया। जब वह खीर -खाकर जाने लगा तो इनपर गोली चला दिया जिससे उसी जगह इनकी मृत्यु हो गई। गोली चलाने के बाद उसने कहा कि मैंने ठाकुरों के मृत्यु का बदला ले लिया।इनकी जिंदगी बदले से शुरू हुई थी और बदले से ही ख़तम हो गई। फूलन देवी की हत्या करने वाले को सजा तो मिली।किंतु फूलन देवी के मृत्यु के पीछे उनके पति का भी हाथ था जो कभी साबित नहीं हो पाया ।
आज बहुत से ऐसे लोग है जो अपने परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते है , हार मान लेते है ।लेकिन क्या अगर मुन्नी भी ऐसा करती तो वह अपने साथ होते अत्याचार को रोक पाती ? पहले की तुलना में आज के समाज में बहुत बदलाव हो गया है।किन्तु सोचिए जरा क्या अब बलात्कार नहीं होता ? अब अगर कुछ नहीं होता है तो वह यह है, कि अब कोई लड़की मुन्नी से “वैंडिट क्वीन” नहीं बनती बस इतना ही फर्क है। आज के समाज में अगर किसे के साथ बलात्कार होता है तो वह इज्जत के खातिर आवाज नहीं उठाती है या यूँ कहें तो बदनामी के डर से उसे आवाज उठाने नहीं दिया जाता है। आवाज तभी उठाई जाती है जब उस लड़की की मृत्यु हो जाती है ।
एक सवाल है मेरा निर्भया के बारे में तो सभी जानते ही होंगे ! आखिर क्यों इतने साल लग गए निर्भया को इंसाफ दिलाने में ?यह सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि बहुत ऐसे भी लोग थे ,वकील थे जो पैसे के लालच में आकर निर्भया के आरोपी को बचाना चाह रहे थें ।आज के समय में तो पुलिस मदद भी करती है। किन्तु पहले ऐसा बिल्कुल नहीं था ।पुलिस ही रक्षक से भक्षक बन जाती थी।भ्रष्टाचार पहले भी था और आज भी है।चंद पैसे के खातिर सच को झूठ बना दिया जाता है।
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गौरी तिवारी भागलपुर बिहार