धारावाहिक भाग- ५
मुन्नी की सफर तो खूबसूरत नहीं थी किन्तु उसकी मंजिल बहुत ही खूबसूरत थी।”एक जाने माने डकैत से सांसद बनने का सफर खूबसुरत ही तो था। कौन जानता था कि एक मल्लाह जाती की लड़की एक दिन सांसद बनेगी”।मानना तो पड़ेगा हिम्मतवाली थी वह, तभी तो जब बचपन में जब एक बार किसी ने मजदूरी करवाकर मुन्नी को उसकी मजदूरी नहीं दिए थे ,तो उन्होंने उसके घर को रातों- रात कचरा बना दिया था। मुन्नी को पुलिस से हमेशा भय बना रहता था क्योंकि उन्होंने बहुत लोगों की हत्या की थी । करती भी तो क्यों नहीं ! बचपन से ही मुन्नी के साथ भेदभाव किया गया ।इनके घर के आस पास के लोग इन्हें घृणा की दृष्टि से देखते थे ।इसका एक ही कारण था कि यह निम्न जाती की थी।इनके साथ इतना अत्याचार हुआ कि यह इतनी कठोर बन गई की इनके दिल से दया ही ख़तम हो गई। “इंसान को उसकी परिस्थिती ही कठोर बना देती है।इंसान जब जन्म लेता है तो वह अज्ञात रहता है किन्तु धीरे धीरे उसकी परिस्थिति उसे सब कुछ सिखा देती है”।
14 वर्ष की आयु में लगातार तीन सप्ताह बलात्कार किया गया , पीटा गया ,फिर नग्न पूरे गांव में घुमाया गया ।अब आप ही बताइए इतनी दर्दनाक परिस्थिति से गुजरने के बाद कौन बुरे रास्ते नहीं अपनायेगा ।खुद की ही जमीन पर फसल बोने नहीं देना! यह कहां का न्याय है?मजदूरी मांगने पर मजदूरी ना देना उल्टा पीटना क्या यह सही है? हाँ यह भी सच है। हम दूसरे के साथ जैसा करेंगे हमारे साथ भी वैसा होगा ।यही तो सृष्टि का नियम है ।जब मुन्नी का बदला पूरा हो गया तो उसने खुद को सलेंडर करना चाहा क्योंकि वह भी पुलिस से भागते भागते थक चुकी थी।पता नहीं फिर क्या हुआ ,उसके माता पिता का लेकिन है इतना जरूर है कि को भी हुआ होगा ।वह पहले से बेहतर ही हुआ होगा।इन्होंने छल बल से अपने शत्रुओं की हत्या की इसलिए इनकी भी मृत्यु छल से ही हुई।
क्रमशः
गौरी तिवारी, भागलपुर बिहार