चलो बृज की होली में,
खेले हर गली, हर खोली मे,
सबके हाथ मे पिचकारी और कमोरी है,
सब घरों से निकले है गोपियों संग शयाम भी है,
सब काले निले, पिले है,
बृज के वासी हुए मग्न
धरती और आकाश भी होली खेले संग संग,
उड़े रंग गुलाल फिजाओ मे,
देखो कितना प्यार उमड़ा है हवाओं मे,
कृष्ण भी राधा और गोपीयो संग खूब खेले होली,
बज रहा मृदंग ताल ,
सब लेके बजाए झाल,
चलो बृज की होली मे, खेले हर गली हर खोली मे।।
प्रिती उपाध्याय@