तसनीम एक खुले विचारों वाली पढ़ी लिखी १८ वर्ष की लड़की है। अन्य हम उम्र लड़कियों की तरह ही उसे भी मिनी पहनने का शौक होता। हेयर स्टाइल तो जाने कितनी तरह की आती थी। अपने अम्मी अब्बू की लाडली तसनीम भाई इदरीश से बहुत डरती थी । लेकिन बुर्के के नीचे अपने स्टाइल को मेनटेन करने में उसेकोई हर्ज नहीं है क्योंकि भाई से प्यार बहुत है। नीमा से उसकी बचपन की घनिष्ठ दोस्ती है और नीमा को वह सारी बातें बताती ।
” नीमा देख ना भाई जान मुझे मिनी नहीं पहनने देते तो मैं बुर्के में ही शौक पूरा कर लेती हूं लेकिन भाई चाहते हैं कि मैं नवाज़ से शादी करूं। वही जो भाई जान के दोस्त है और वो तो पहले ही शादी शुदा है। उसके कोई औलाद नहीं तो वो अपनी बीवी को तलाक देने को तैयार हो गया है भाई के कहने पर । अब तू ही बता मैं अपने जज्बात कैसे दबा लूं ।”
” नहीं यार तसनीम यह तो जिंदगी भर का फैसला है इसे तो सोच समझ कर ही लेना चाहिए। और फिर भाई से बात करो शायद मान जाएं । “
” भाई तो सब तरफ से एक ही बात करते हैं कि वो मुझे खुश रखेगा । “
” मैं बात करती हूं भाई से । “
भाई के गराज से वापस आने तक नीमा ने इंतजार किया और जैसे ही इदरीश को आता देखा दोनों ही पढ़ने बैठ गईं ।इदरीश ने दोनों को ही पढ़ाई करते देख अपनी खुशी जताई। बस फिर नीमा को मौका मिल ही गया ।
” भाई आप चाहते हैं कि हम पढ़े तो तसनीम की शादी क्यों करवाते हैं। अभी तो वह छोटी है। अभी हमें बहुत पढ़ना है। “
” देख बेटा नवाज़ को तसनीम की पढ़ाई से कोई ऐतराज नहीं। ये शादी के बाद भी पढ़ सकती है। ” भाई ने बड़ा खुश होकर कहा ।
” लेकिन भाई शादी के बाद जिम्मेदारी बढ़ जाती है आप ही बताइए क्या भाभी चाहे तो भी अब पढ़ सकती है ? ” नीमा ने प्रश्न किया ।
” अरे पर क्या करना है पढ़ लिख कर हमें कौन सी नौकरीनवाज़ का अच्छा खासा धंधा चल रहा है। तसनीम वहां राज करेगी । “
” और भाई तसनीम के सपने, उनका क्या ! “
तभी बीच में तसनीम बोल उठी ,” भाई जान आप जहां कहेंगे मैं वहीं शादी करूंगी पर इस बात की क्या गारंटी है कि मेरे औलाद नहीं हुई तो नवाज़ मुझे तलाक नहीं देगा। आप ने खाला जान की हालत देखी ना कोई खुशी उन्हें नसीब नहीं हुई। क्या आप मेरी ऐसी दशा देख पाएंगे एक उम्र दराज आदमी से शादी करके । भाई मेरे भी सपने हैं कि मैं दुबई घुमने जाऊं लेकिन किसी अधेड़ के साथ नहीं। आगे आपकी मर्जी भाई । “
इदरीश गंभीर हो जाता है उसे अफसोस हुआ कि वह अपनी लाडली के मन को क्यों समझ नहीं सका ! और अब वह उसके सिर पर हाथ रखकर कसम खाता है कि वह अपनी बहन की इच्छा का सम्मान करेगा ।
प्रिय पाठक मित्रों, कहानी लिखने का उद्देश्य है स्त्री के दृढ़ संकल्प को उजागर करना है । थोड़ी हिम्मत और सत्य के साथ स्त्री ने जातिवाद में उठे सवालों का सामना स्वयं किया है। जिसमें कुछ समाज ऐसे हैं जो मध्यम गति से आगे उभर कर आ रहें हैं। किंतु शुरूआत मायने रखती है ।
धन्यवाद
आपकी अपनी
( Deep )
