नहीं नहीं ऐसा मत करो..ओह मेरा चेहरा झुलस गया। बहुत दर्द हो रहा है मुझे..मुझे ऐसी हालत में देखकर मेरे मम्मी पापा मर जाएंगे..नींद में एक अजीब सा साया मानो उसे दर्द पहुँचा रहा था। उस दर्द से छटपटाती पसीने से तर बतर सीमा की नींद खुल जाती है। खुली आँखों में भी अभी भी डर समाया हुआ था.. निस्तेज.. संज्ञाशून्य पड़ी अँधेरे में सिर्फ आँखें घुमा कर उस अजीब से साए को देखने की कोशिश कर रही थी सीमा।
अचानक अंधेरे में माँ को आवाज देती चीखती हुई उठ बैठती है… उसकी चीख सुन दूसरे कमरे से दौड़ते हुए सीमा के मम्मी पापा आकर कमरे में रौशनी करते हैं।
माँ मेरा चेहरा खराब हो गया.. माँ मैं बाजार गई ही क्यूँ थी। उसने मेरे चेहरे पर तेजाब डाल जला दिया.. सीमा रोती हुई लगातर यही बोलने लगती है।
किसने क्या कर दिया.. तुम बिल्कुल ठीक हो सीमा.. कोई बुरा सपना देखा तुमने.. सिर सहलाती सीमा की माँ बोलती है।
क्या सच में.. अपने चेहरे को टटोलती सीमा पूछती है और आदमकद दर्पण के सामने खड़ी हो जाती है।
मैं ठीक हूँ माँ.. मैं ठीक हूँ माँ.. खुशी के अतिरेक में सीमा अपने मम्मी पापा से लिपट जाती है।
माँ पापा अब मैं उसे नहीं छोड़ूँगी.. आज ही उसकी शिकायत पुलिस में करुँगी.. सीमा कहती है।
किसकी सीमा.. उसके पापा पूछते हैं।
कॉलेज में एक लड़का है पापा.. लड़कियों के साथ बदतमीजी करना ही उसका शौक है। जो लड़की उसके साथ घूमने फिरने से मना कर देती है.. उसे कई तरह की धमकी देता है। कई दिन से मुझे भी परेशान कर रहा हूँ.. उसकी वो घूरती आँखें हमेशा डर के साये में जीने के लिए मजबूर करती हैं। आज उसने मेरे चेहरे पर तेजाब डाल देने की धमकी दी थी। सिर्फ धमकी से ही इतनी डर गई मैं। जिन लड़कियों के साथ ऐसा होता है.. उनकी तो पूरी जिंदगी ही जल सी जाती है.. बस अब और नहीं। आप दोनों मेरा साथ देंगे… मैं उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलवाना चाहती हूँ.. अपने मम्मी पापा के गले लगते हुए सीमा पूछती है।
बिल्कुल बेटा.. ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए.. हम दोनों हर कदम पर तुम्हारे साथ हैं.. सीमा के पापा कहते हैं।
आरती झा(स्वरचित व मौलिक)
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