निःसंदेह आज का शीर्षक बहुत ही जटिलता से भरा हुआ है बुद्धि बनाम सुंदरता।
सुंदरता ईश्वर का वरदान है और कहते हैं हर सुंदर वस्तु ईश्वर को बहुत प्रिय होती है।
लेकिन बुद्धि मनुष्य के द्वारा स्वयं अर्जित की जाने वाली एक अमूल्य संपदा है जिसे मनुष्य शिक्षा द्वारा, अपने जीवन के अनुभव से प्राप्त करता है।
सुंदरता उस सोने के घड़े जैसी है जो देखने में तो बहुत सुन्दर होता है लेकिन जिसमें भरा हुआ पानी कभी भी ठंडा नहीं हो सकता है, जबकि बुद्धि मिट्टी के उस घड़े के समान है जो देखने में कुरुप होते हुए भी पानी को ठंडा बनाए रखता है।
कहने का तात्पर्य ये है कि सुंदरता आपको क्षणिक आकर्षित तो करती है लेकिन आपको मानसिक संतुष्टि नहीं देती है।
बुद्धि का सबसे बड़ा उदाहरण ब्रह्मा जी हैं, लोग उदाहरण के रुप में अक्सर बोलते रहते हैं सुंदरता यानि स्त्री को तो स्वयं सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी भी नहीं समझ पाए, लोग सच ही कहते हैं क्योंकि सुंदरता के सम्मोहन और तिलिस्म से तो देवता भी नहीं बच पाए, स्वयं भगवान शिव भी भगवान विष्णु के मोहिनी रूप में बुरी तरह से आसक्त हो गए थे।
कौन श्रेष्ठ है सच में एक बहुत ही जटिल प्रश्न है क्योंकि हर बुद्धिमान व्यक्ति कहीं ना कहीं सुंदरता के पीछे भागता रहता है जो व्यक्ति सुंदरता से विरक्त हो जाता है वह निसंदेह बुद्ध हो जाता है।
इतिहास गवाह है की बड़े-बड़े ज्ञानियों, महाऋषियों ने सुंदरता के सम्मोहन में आके अपने तप और ज्ञान की गरिमा खो दी।
सुंदरता आपको किसी भी स्थान पर क्षणिक सम्मान प्रतिष्ठा दिलाने में सक्षम होती है लेकिन बुद्धि आपको हर जगह स्थायी सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाने में पूर्ण रूप से सक्षम है।
बुद्धिमान व्यक्ति सुंदर ना होते हुए भी हर जगह सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
लेकिन अब ये सब बातें सिर्फ पढ़ने में ही अच्छी लगतीं हैं क्योंकि आज के समय काल में मात्र सुंदरता का ही बोलबाला है, आज सभी लोग सुंदरता के पीछे पागल हो कर भाग रहे हैं।
सुंदरता ने आज के दौर में एक भयानक मृग मरीचिका का रूप धारण कर लिया है, जिसकी चाह में आदमी सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हैं, सही मायने में आज के दौर में सुंदरता ने बुद्धि को अपने वश में कर लिया है।
आज सुंदरता को बाजारों में उत्पाद प्रस्तुतिकरण के रूप में खुल के बेचा जा रहा है क्यों जो दिखता है वही बिकता है।
आज कोई भी व्यक्ति कितना ही बुद्धिमान क्यूँ ना हो फिर भी सुंदर देखने के लिए ना जाने क्या क्या प्रयास करने में लगा हुआ है।
सच की कहते हैं कि सुंदरता मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट कर देती है  और सुंदरता के इस मायाजाल से सिर्फ बुद्धिमान व्यक्ति के मुक्त रह सकता है।
सुंदरता के प्रति आसक्त भाव मानवीय गुण है, जिससे बचना लगभग असम्भव सा है।
सुंदरता सदैव आपको आकर्षित करके पथभ्रष्ट करेगी और बुद्धि आपको एक समय के पश्चात इस सम्मोहन से मुक्ति दिलाएगी।
सुंदरता को स्वच्छ नेत्रों से निहारिये, आनन्द लीजिये क्योंकि हर सुंदर वस्तु आनंददायक होती है किन्तु सुंदरता के आसक्त भाव में ना पड़ें।
रचनाकार – अवनेश कुमार गोस्वामी
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