बीते समय की बाते मुझे सोने नही देती,
वो जानी पहचानी आहटे मुझे सोने नही देती!
खुद को भी कर बैठे कुर्बान,कोई जरा सी बात पर,
कुदरत भी आज आँसू बहा बैठी मेरे हालात पर,
गैरो की करे क्यूँ बात,खंजर हाथ मे है अपनो के,बात ये मुझे सोने नही देती!
बिना जुर्म के बिना गलती के,मुजरिम हमको बना दिया,
गैर तो चलो गैर थे,अपनो ने भी तो दगा किया,
बिगड़ी हमसे कहाँ बात,बात ये मुझे सोने नही देती!
जिन्दा हूं मै अभी,क्यूँ दफन हो गए सभी जज्बात, बात मुझे ये सोने नही देती!
बीते समय की बात मुझे सोने नही देती!
श्वेता अरोड़ा