“जल व्यर्थ न बहायें
(जल ही जीवन है-अगली पीढ़ी हेतु जल बचाएँ)
कुएं में ज्यादा मीठा जल होता,
जिसे लोग इनारा भी कहते हैं।
वर्षा ऋतु में बरसता है जो जल,
तीन रूप में यह विभाजन होता।
कुछ तो बह नदी समुद्र में जाता,
कुछ वाष्प बन नभ में उड़ जाता।
कुछ अवशोषित होता है धरती में,
वही तो भूजल सम्पदा कहलाता।
ट्यूबेल बोरिंग एवं यह हैण्ड पम्प,
सब मर्सिबल मोटर लगाते पम्प।
भूजल दोहन करते रहते हैं हमसब,
जल सरंक्षण नहीं करते हैं हमसब।
जल ही से तो हमारा जीवन है,
अमृत जल को ना व्यर्थ बहायें।
दुनिया में पानी बिना है सब सून,
पानी बोतल में बिके मूल्य है दून।
जल बिन केवल मीन न प्यासी,
जल का प्यासा है सारा संसार।
जल ही जीवन होता है सब का,
जल बिना यह जीवन है बेकार।
पशु पक्षी मानव कीट पतंगे सब,
जल बिन ये हो जाते हैं लाचार।
जल बिन होय न खेती किसानी,
जल है सभी जीवन का आधार।
भूजल सम्पदा का महत्त्व समझें,
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम समझें।
जल बिन कोई न भोजन पकता,
जल बिन होय ना पूजा संस्कार।
जल बिन होय न शरीर की शुद्धि,
किसी मृत का न हो दाह संस्कार।
सूखी नदियां नहीं किसी काम की,
जल ही नहीं तो नदी है वो बेकार।
सागर के गहराई की शोभा है जल,
वर्ना शील ह्वेल बौलरस हैं बेकार।
“भूजल संपदा महत्त्व”का है आगाज,
जल अमृत है सरंक्षित करना आज।
कल का भविष्य होगा तभी सुनहरा,
जब हम सब बेकार न बहने दें जल।
बूँद बूँद भी बहेगा जल तो कम होगा,
दिखे खुली यदि टोंटी बन्द करो नल।
यह काम एक का नहीं है ये केवल,
बेकार कभी न बहाओ अमृत जल।
“भूजल संपदा महत्त्व” तभी सार्थक,
संकल्प अभी लें बचायेंगें हम जल।
जल से ही वन जल से ही उपवन,
जल ही से है हमारा ये मानव तन।
ये जल जीवन के लिए है मूल्यवान,
हम क्यों ना बनें जल के कदरदान।
जल संचयन संग्रहण संरक्षण करें,
भूजल संपदा रक्षा जागरूक करें।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.