जल बिन सब सून सखी,
क्या जग और क्या जीवन।।
क्या मानव !!.
क्या पशु पक्षी ,
क्या उपवन के सारे फूल
सबकी साँसो का आधार
पानी बिन सब काज बेकार।।
बिन नीर एक पहर न बीते,
फिर भी कोई जतन न जाने।।
अनावश्यक पानी बहाए,
बूंद बूंद को संचित कर पाए
बहता पानी छोड़े श्राप
मेरे बाद तेरा होगा क्या हाल!!
त्राहि त्राहि करेगा संसार।।
दिन दूर नही है वो,
जब तीसरा विश्व युद्ध,
पानी के लिए होगा ।।