मदहोश मुझे कर जाता है, आँखों से छलकता प्यार
मेरे दिल को घायल करते वो, बिन नश्तर, बिन तलवार
वो हौले से आते पास मेरे,
और नज़रों का झुक जाना
चेहरे पे साँसों की छुअन पाकर,
मेरी धड़कन का रुक जाना
जो लब से कभी वो कहे नहीं, मैंने सुन लिया वो इज़हार
मेरे दिल को घायल करते वो, बिन नश्तर, बिन तलवार
मुझमें वो हर पल शामिल हैं
चाहे तन्हाई हो या हो महफ़िल
हाय सितम जो मुझपे ढाती है
हर एक अदा उनकी क़ातिल
मैं जितनी दफा उनसे मिलती, लगे इश्क़ नया हर बार
मेरे दिल को घायल करते वो, बिन नश्तर, बिन तलवार