साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु प्रदत्त विषय

बिदाई

शब्द ,बिदाई का जब सुनाये।

मन में वेदना,तभी सताये।

बेटी के,जब हो,पीले हाथ।

मिल जाता ,सजना का,साथ।

नैहर हो जाता, बेगाना ।

साजन के, घर होता जाना ।

जग की,ऐसी रीति, निराली।

हुई पराई जिनने,पाली ।

बेला,जब बिदाई की आती।

बेटी, रोती, और रुलाती।

सजनी बन साजन,घर जाती।

बेगाने ,घर को ,अपनाती।

सबके दिलो में,जगह बनाती।

जब मानव ,जीवन ,जी, लेता ।

कितने यश ,अपयश,पा लेता।

लख लेता, अपने, बेगाने ।

जाने, बन जाते,अंजानें ।

जग में,रीत सदा, चली आई।

तन की होती,जग से, बिदाई।

जाने, कौन, गली से जाने।

लौट के वापस, फिर न आने।

जग में सबसे, कठिन बिदाई।

देखत ही आंखें,भर आईं।

ऊपर से ,सब भूपर, आते।

सब, बलराम, के घर को, जाते।

बलराम यादव देवरा

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