बिंदियों की बारे में क्या कहना।
बिंदिया है नारी का अनोखा गहना।
ऐसा गहना जो सबकी क्षमता में हो।
ऐसा गहना सो सबकी समता में हो।
गोल,चौकोर,अनेकाकार,सादे।
जड़ीले,सजीले सबके एक इरादे।
गीली रोली नर के भाल को भी करे शोभित।
घिसा चंदन मस्तक के ताप को करे खंडित।
बिंदी से बिंदी मिला बालक सीखे अक्षर।
बिंदी से अनजान रह बालक होते निरक्षर।
एक बिंदी की कमी से खुदा होता जुदा।
बिंदी की हाजिरी से है,हैं बनता इज्जतशुदा।
        -चेतना सिंह,पूर्वी चंपारण।
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