नैनो की मधुशाला में,डूब जाने को जी चाहता है,
पास बैठो घड़ी दो घड़ी तुम,कुछ बताने को जी चाहता है,
गुनगुनाने को जी चाहता है, मुस्कुराने को जी चाहता है,
बोली मे तेरी खनक है, नैनों में तेरी चमक है,
लिखता हूं तुझपे कविता, मेरे जीवन में तुझसे दमक है,
रात की चांदनी हो तुम, सुबह की तुम धूंप हो,
मेरा ख्वाब हो तुम, हमेशा मेरा स्वरूप हो,
मेरा सुरूर हो तुम,मेरा गुरूर हो,
तुमसे ही मेरी दुनिया, मेरा तुमसे जहान है
मेरे दिल की धड़कन तू मेरा सम्मान है
माथे पे तेरी बिंदिया,दिल को चुरा रही है
चूड़ी की तेरी खन -खन नींदे उड़ा रही है
तुमसे ही मेरी दुनिया मेरा जहान है
अर्धांगिनी हो तुम मेरी, तुम ही से मेरा मान है,
नैनो की मधुशाला में, डूब जाने को जी चाहता है,
पास बैठो घड़ी दो घड़ी तुम, कुछ बताने को जी चाहता है
संगीता वर्मा✍✍