ये तेरी बिंदिया मुझे तेरी याद दिलाए,
हर पल जीने की राह दिखाए।
जब जब मैं हतास और ,परेशान हो जाऊं तब मुझे पथरीले रास्ते पर चलना सीखा गयी ये तेरी बिंदिया।
खुद की पहचान बनाने की प्रेणना दे ,
जाए तेरी बिंदिया।
जब कभी मैंने खुद को अकेला महसूस किया है तो मेरे अकेलेपन
की साथी बन कर, अपने साथ होने
का अहसास करा जाए तेरी ये बिंदिया,
तेरे रूप का जादू मुझ पर चलाएं ये तेरी बिंदिया।
तेरे प्रेम का राग सुनाते, मुझे तड़पाये
तेरी बिंदिया
अर्चना पांडेय”आर्ची
गोरखपुर