नभ में काली- काली बदरा छा जाती है

प्रेम का राग छेड़कर मधुर गीत सुनाती हैं।
बारिश की बूंदे,,,,,,,,,,,,
अठखेलियाँ करके जिया ललचाती है
छन,,,, से गिरकर तपती वसुधा को ठंडक पहुंचाती है।
बारिश की बूँदे,,,,,,,,,,
प्रकृति को हरीतिमा कर सुंदरम बना जाती है
बारिश की टपकती बूंदों का
स्पर्श पाकर पेड़ -पौधे लहलहा उठते है
बारिश की बूंदे बरसकर,,,,,, 
प्रेयसी को प्रीतम की याद दिलाती है।
बारिश की बूँदे,,,,,,,,,,, 
की संगीतमय तान सुनकर 
कोयल मल्हारती हुए मीठे गीत गाती है
मयूरी की पांँव थिरकने लग जाते है।
बारिश की बूंदे,,,,,,,,,,,
ऊमस भरी गर्मी से राहत दिलाती है।
बारिश के बूंदे,,,,,,,,,,,,,,
धरती पर बरसाकर नदीयाँ उफान खाकर बलखाती, इठलाती हैं।
बारिश की बूँदे ,,,,,,,,,,,,,,,,,
को पाकर बच्चे बूढे सब मग्न हो जाते
गढो में पानी भरने पर बच्चे 
छईछपाछई करते हुए कागज की नाव चलाते है।
बारिश की बूँदे,,,,,,,,,,,,,,,
सतरंगी धनुष बनाकर नभ पर अपनी छटा बिखरते है।
शिल्पा मोदी ✍️✍️
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