बारिश की वो पहली फुहार,
लायी है सावन की बहार।
हर कली खिल आई है,
डाल डाल मुस्काई है।।
बागों में रौनक लाई है,
खेतों की फसल लहराई है।
हर दिल बच्चा बन के झूमे,
देखो बारिश आई है।।
बारिश की इन बूंदों से,
अंग अंग खिल जाए है।
मोर नाचे पंख फैलाये,
मोरनी गीत सुनाय है।।
इन्द्रधनुष चमके गगन में,
धरती की प्यास बुझाय है।
ये बचपन लेकर आई है,
कागज़ की नाव बनाई है।।
पीपल पे झूले है पड़ गए,
ऐसी मस्ती छाई है।
अमीया जामुन रसभरी,
वो बूढ़ी अम्मा लाई है।।
देखो बारिश आई है!
सबका मन हरषाई है!!
~राधिका सोलंकी (गाज़ियाबाद)
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