जनवरी माह में दिल्ली की कड़कडाती बारिश की
👩👧 बाल कविता👩👧
बादल चाचा बादल चाचा क्यूं बरसे
इतने गरज़ गरज़ कर क्यूं बरसे
कड़ कड़ बिजली बुआ बरसती
क्या वो हम से कहने को कुछ है तरसती
गड़ गड़ तुम क्या बतलाते
घुमड़ घुमड़ रौब जताते
कितना चिढ़ चिढ़ कर हमें डराते
सर्दी में भी हर घण्टे पानी टपकाते
ठिठुरन इतनी ना बढ़ाओ
थोड़ा हम पर दया दिखाओ
जब सावन आये तब आजाना
स्वागत करें तो मत इतराना
अभी तो तुम घर जाओ
मुझको सर्दी लगती है
ओर पानी न बरसाओ।।
मम्मा की लेखनी
ज़िया की जुबानी👩👧
( ज़िया )भारती प्रवीण…✍️💕