बहाना कोई मिलता तो, तुमसे नहीं आते मिलने को।
होकर मजबूर तेरी दर, तुमसे आ गये मिलने को।।
बहाना कोई मिलता तो——————-।।
बहुत वक़्त बाद मिले हैं, फिर भी नफरत है इतनी।
खुशी हमको तो है इतनी, आ गए खुशी देने को।।
बहाना कोई मिलता तो———————-।।
नहीं है शौक हमको अब, तुम्हें परेशान करने का।
सुना तेरा हाल बुरा है, आ गए तुम्हें हंसाने को।
बहाना कोई मिलता तो——————–।।
जश्न हम यहाँ मनायेंगे, सजाकर आज यहाँ महफ़िल।
जुबां तुमको भी मिलेगी, आ गए सच सुनाने को।।
बहाना कोई मिलता तो———————-।।
ख्वाब उसका नहीं देखा, देखकर उसका याराना।
होगी बदनामी तेरी बहुत, आ गए हाथ मिलाने को।।
बहाना कोई मिलता तो———————-।।
बहुत – बहुत तुमको धन्यवाद, हमारी बात को सुना।
रहो आबाद हमेशा तुम, आ गए दुहा यह देने को।।
बहाना कोई मिलता तो——————–।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)