मैं बह जाऊँगी सदियों तक,
तुम्हारें लिए गंगा की तरह 
तुम बस एक बार भागीरथ
की तरह लेने तो आओं।
बिना सवाल चल दूँगी
मैं पीछे पीछे तुम्हारें,
तुम बस एक बार भागीरथ
की तरह लेने तो आओं।
नग, घाटी और मैदान
पार कर मिट जाऊँगी
सदा के लिए  मैं,
बस एक बार भागीरथ
की तरह लेने आओं।
अपने प्रचंड वेग को
त्याग कर ,धार बन
तुम्हारें कदमों को
चूमती जाऊँगी मैं,
बस एक बार भागीरथ
की तरह लेने तो आओं।
बस एक……
गरिमा राकेश ‘गर्विता’
कोटा राजस्थान
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