रमेश और सुनंदा के जाने के बाद ब्रोकर प्रशांत ने एक नं. पर फोन किया ।
” हेलो ” एक तीखी आवाज आई !
” हेलो , मैं बोल रहा हूं ! ” प्रशांत अपने दांत दिखाते हुए कहने लगा ।
” क्या हुआ उस घर का ! ” इस बार आवाज में एक परेशानी की झलक सुनाई पड़ी ।
” वही तो बताने के लिए आपको फोन किया है , उन दोनों को घर पसंद आ गया है और वो उसे खरीदना भी चाहते हैं पर एक छोटी सी समस्या है ! ” प्रशांत बातों की चाशनी बनाने लगा ।
” अब क्या परेशानी आ गयी , जो भी है साफ – साफ बताओ । ” उधर से बेचैनी भरी आवाज ने प्रशांत को चौंकने पर मजबूर कर दिया ।
प्रशांत बिना किसी लाग लपेट के रमेश से हुई बातें बताने लगा ।
” हम्म् ठीक है , मुझे कोई एतराज़ नहीं है अगर वो कुछ महीनों के लिए घर में किराए से रहना चाहते हैं , तो उन्हें कल ही शिफ्ट होने के लिए कह दो । ” उधर से एक राहत भरी आवाज में कहा और फोन रख दिया ।
प्रशांत ने अगली सुबह रमेश से कुछ कागजों पर दस्तखत करवाए और घर की चाबी सौप कर वो चला गया ।
दो दिन बाद चित्त्रोत्पल्ला कॉलोनी में सुबह – सुबह सामान से भरी गाड़ी एक घर के बाहर आकर रूकी ।
” रमेश हमारा खुद का घर कितना अच्छा लग रहा है ना , खुद के घर में आकर ! ” सुनंदा खुशी से चहकते हुए कहने लगी ।” अभी ये घर हमारा नहीं हुआ है श्रीमति जी , फिलहाल हम किराएदार है ! ” रमेश शांति से कहने लगा ।
” साब ये सामान कहां रखें ! “
सुनंदा कुछ कहती की एक आवाज ने दोनों को चुप करा दिया ।
रमेश ने घर का ताला खोलने लगा ।” खड़ाक..! ” अंदर से आवाज आई ।
” ये कैसी आवाज है ! ” सुनंदा चौंकते हुए कहने लगी ।
” किसी सामान की गिरने की आवाज है ! ” रमेश कहने लगा ।
रमेश ने दरवाजा खोला और सुनंदा के साथ आगे बढ़ने लगा ।
” आह…! ” सुनंदा दहशत से चीख पड़ी ।
रमेश ने पीछे पलटकर देखा एक काली बिल्ली सुनंदा पर कूद गयी थी जिसे सुनंदा ने फर्श गिरा दिया था ।
” म्याऊं..!! ” इधर बिल्ली फर्श पर पड़े हुए सुनंदा को घूर रहा था ।रमेश ने बिल्ली को वहां से भगा दिया । लेकिन सुनंदा अब भी डर से कांप रही थी ।
सुनंदा घबराते हुए : ” ये तो अपशकुन है रमेश , हमारे घर में आते ही इस काली बिल्ली का घर के अंदर होना और मुझपर झपटना , मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है । “
” तुम महिलाओं की यही दिक्कत है , जब उनके मन का ना हो , तो किच – किच करती हो और जब तुम्हारे मन का हो , तब भी तुम लोगों को खुशी नहीं होती । ये तुम जो रोज डरावने सीरियल्स देखती हो उसी का असर बोल रहा है । ” रमेश ने सुनंदा को झिड़क दिया और मजदूरों के पास चला गया ।
हॉल में सामान बिखरा पड़ा था । जैसे – तैसे रात तक सोने वाला कमरा लगभग जम चुका था । लेकिन रसोई और हॉल बिखरा हुआ था । नन्ही श्रुति को सुनंदा ने सुला रही थी । रमेश सुनंदा को देखते हुए कहने लगा ।
रमेश : ” सुनंदा दिनभर के कामों से तुम तक गयी हो , रसोई भी इस हालत में नहीं है कि कुछ बना लें , तुम श्रुति को सुलाकर आराम करो मैं बाहर से तुम्हारी पसंद का खाना लेकर आता हूं । “
” रमेश खाना लेकर तुम जल्दी आ जाना , नयी जगह है और सुबह की घटनाओं से मुझे थोड़ा डर लग रहा है । ” सुनंदा डरते हुए कहने लगी ।
” नयी जगह है इसीलिए तुम्हें डर लग रहा है । वैसे यहां डरने वाली कोई बात नहीं है देखो कितना बड़ा घर है , जैसा तुम चाहती थी ठीक वैसा । ” रमेश , सुनंदा को समझाकर खाना लाने चला गया ।
रमेश के जाने के बाद घर में एक अजीब सी शांति पसर गयी थी । जो सुनंदा के डरने के लिए काफी थी । तभी उसने देखा की श्रुति सो चुकी है उसने श्रुति को बिस्तर पर सुला दिया और खुद रसोई में जाकर सामान जमाने लगी । पन्द्रह मिनट हुए होंगे की सुनंदा को बच्ची की रोने की आवाज सुनाई देने लगी ।
” बच्चे के रोने की आवाज ! श्रुति इतनी जल्दी कैसे उठ गयी । शायद नयी जगह के कारण उसे भी नींद नहीं आ रही होगी । ” सुनंदा अपने आप से कहते हुए कमरे की ओर जाने लगी । कमरे का दरवाजा खोलते ही उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी ।
क्रमश: