रमेश फोन रखते ही सुनंदा को आवाज देने लगा ।
रमेश : ” सुनंदा…जल्दी आओ !! “
सुनंदा : ” हां आई..!! क्या हुआ क्यूं इतना चिल्ला रहे हो ! चाय बनने में थोड़ा समय तो लगता है ना ! “
रमेश मुस्कुराते हुए : ” मैं तुम्हें चाय के लिए नहीं बुला रहा था । अभी प्रशांत का फोन आया था , वो बता रहा था कि शहर से बाहर एक नई कालोनी बनी है वहीं पर एक मकान खाली है जो हमें हमारी कीमत पर मिल जायेगी शायद ! “
सुनंदा : ” शायद ! मतलब अभी कोई तय नहीं हुआ है कि वो मकान हमें मिल जायेगा ! “
रमेश : ” अरे भाग्यवान , पहले घर को तो देख लो । अगर वो जगह और घर पसंद आ जायेगा तो थोड़ी मान – मनौव्वत करके मकान मालिक को मना लेंगे । “
सुनंदा : ” हूं…!! कहकर चली गई , दोपहर को रमेश अपनी तीन साल की बेटी और पत्नी सुनंदा के साथ प्रशांत के बताए पते पर पहुंच गये ।
सुनंदा नयी बनी कॉलोनी श को देखते हुए रमेश से कहने लगी ।
सुनंदा : ” चित्रोत्पला हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी ! ये कॉलोनी तो शहर से बहुत दूर है रमेश , देखो यहां कुछ ही परिवार रह रहे हैं । “
रमेश : ” हां थोड़ी दूर तो है पर देखो यहां हरियाली है और ये जगह भी शांत है । तुम्हें तो ऐसी जगहें ही पसंद थी ना ! “
सुनंदा : ” हां पसंद तो है । “
सुनंदा के कहते ही प्रशांत ब्रोकर रमेश को सामने से आता हुआ दिखाई दिया ।
रमेश : ” क्या प्रशांत भाई हमें पहले बुलाकर खुद इतनी देर से आ रहे हो । “
प्रशांत अपनी बाईक साईड में रोककर अपनी बत्तीसी निकालकर कहने लगा ।
प्रशांत : ” माफ करना रमेश जी थोड़ी देर हो गयी । अब चलिए मैं आप दोनों को घर दिखा दूं ! “
प्रशांत , रमेश और सुनंदा को घर दिखाने ले गया ।
प्रशांत : ” दो घर छोड़कर यहां.. ये रहा घर ! “
घर को देखते हुए रमेश : ” बाहर से देखने में घर अच्छा लग रहा है । बाहर खुली हवा , बड़ा सा बरामदा ! “
प्रशांत घर का ताला खोलते हुए : ” घर को भीतर से एक बार देख लीजिए रमेश जी , आप इस घर को मना नहीं कर पायेंगे । दो बड़े कमरे जिसमें अटेच लेट-बाथ है । यहां देखिए भाभी जी आपकी रसोई फुल फर्निजड है । इतना बड़ा हाल जहां आप पन्द्रह – बीस लोगों के पार्टी की व्यवस्था हो जाए । ऊपर चलिए छत पर वहां इतना अच्छा इस्पेस है की आपका मन खुश हो जायेगा । “
प्रशांत की बातें सुनकर सुनंदा खुश होते हुए कहने लगी ।
प्रशांत ने जैसे ही दरवाजा खोला एक तेज हवा झौंका सुनंदा के पास से गुजरा जिसे देखकर सुनंदा चौंक गई और उसकी गोद में बच्ची रोने लग गई ।
सुनंदा : ” ये हवा अचानक इतनी तेजी से क्यूं चलने लगी । देखिए श्रुति भी रोने लग गयी । “
प्रशांत : ” अरे इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं है भाभी जी , क्या है ना कि , ये घर काफी दिनों से बंद पड़ा है , हो सकता है अचानक दरवाजा खोलने से हवा का प्रेशर बढ़ गया हो और बाहर निकल गया हो शायद ! “
प्रशांत ने बात संभालते हुए कहने लगा ।
रमेश : ” हां शायद यही हुआ होगा । घर तो बहुत सुंदर है साथ ही साथ फुली फर्निश्ड भी है । बाहर बरामदा और किचन के पीछे खाली जगह , जहां सुनंदा तुम अपनी बागवानी के शौक पूरे कर सकती हो ! “
रमेश , प्रशांत से : ” इस घर की कीमत क्या है प्रशांत ? “
प्रशांत : ” मैं आपको ज्यादा घुमा फिराकर नहीं कहूंगा , पर इस मकान की कीमत महज पन्द्रह लाख है । “
” आप मजाक कर रहे हैं प्रशांत जी ! ” सुनंदा अचंभित होकर पूछने लगी ।
प्रशांत : ” मैं मजाक नहीं कर रहा हूं , इस घर के मालिक ने जो कीमत रखी है मैं वही बता रहा हूं । “
” इतने बड़े घर की कीमत इतनी कम ! क्या उन्हें कोई दिक्कत थी इस घर में ! ” सुनंदा संदेह करती हुई पूछने लगी ।
” अरे नहीं भाभी जी , उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी इस घर में , असल में वो दूसरे शहर में शिफ्ट हो रही हैं , इसीलिए इसे जल्द से जल्द बेचना चाहती है । ” प्रशांत अपना दांत दिखाते हुए कहने लगा ।
प्रशांत की बात सुनकर रमेश और सुनंदा ने एक – दूसरे को देखकर सहमती दे दी ।
रमेश : ” हमें ये घर पसंद है और हम इसे खरीदने के लिए तैयार है पर…एक परेशानी है प्रशांत जी ! “
प्रशांत : ” कैसी परेशानी रमेश जी ! “
रमेश : ” दरअसल मैंने घर खरीदने लोन के लिए अप्लाई किया है । लेकिन कुछ दिक्कतों के चलते उसमें तीन महीने की देर है । क्या हम तब तक इस घर में बतौर किरायेदार रह सकते हैं । सिर्फ तीन महीने के लिए उसके बाद में लोन के पास होते ही मैं इसे खरीद लूंगा । “
प्रशांत : ” इस बारे में मैं आपको मकान मालिक से पूछकर बता पाऊंगा रमेश जी ! “
रमेश : ” आप मुझे उनका नं. दे दीजिए मैं खुद उनसे बात कर लूंगा । “
रमेश की बात सुनकर प्रशांत के चेहरे पर परेशानी की लकीरें तैर गयी ।
” नहीं रमेश जी , मैं आपको उनका नं. नहीं दे पाऊंगा । आप परेशान ना हों मैं आज ही उनसे बात करके आपकी बात रख दूंगा । “
प्रशांत ने कहा और घर का दरवाजा बंद करने लगा ।
तभी अचानक अंधेरे में दो लाल रौशनी जलती हुई दिखाई देने लगी जिसे किसी ने नहीं देखा ।
क्रमश: